
Ranchi : कोरोना संकट अब भी राज्य में जारी है. तकरीबन डेढ़ सालों से इसने हर तबके को बुरी तरह से प्रभावित किया है. खास कर निजी अस्पतालों का रवैया वैसा मानवीय नहीं दिखा जैसा अपेक्षा की जाती रही. सरकारी प्रावधानों, बंदिशों के बावजूद उन्होंने अपनी मनमानी की. प्रदेश कांग्रेस की राहत निगरानी समिति के सदस्य और पूर्व प्रवक्ता आलोक दुबे के मुताबिक हाल के दिनों की एक रिपोर्ट और आकलन को मानें तो झारखंड में पिछले डेढ़ वर्ष से अधिक समय में कोरोना संक्रमण काल के दौरान लगभग 8000 करोड़ रुपये लोगों ने इलाज पर खर्च किये. इनमें से करीब 7000 करोड़ रुपये लोगों से प्राइवेट हॉस्पिटलों ने वसूले. स्थिति यह रही कि कोरोना संक्रमणकाल में रिक्शा, ठेला, खोमचा वालों से लेकर गरीब एवं मध्यम वर्ग के लोगों ने अपने परिवार के सदस्यों को बचाने के लिए गहने बेचे. घर-संपत्ति बेची. यहां तक कि खून बेच कर प्राइवेट हॉस्पिटलों को यह पैसा उपलब्ध कराया. यहां तक कि रसूखदार लोग भी इनके शिकंजे में फंसे. अब सीएम हेमंत सोरेन और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से आग्रह किया गया है. उनसे कोरोना काल में प्राइवेट अस्पतालों द्वारा कमायी गयी राशि, आय-व्यय के ऑडिट की मांग की गयी है. उम्मीद है कि इससे अस्पतालों का सच सामने आयेगा.
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रिटायर जज करें जांच
बन्ना गुप्ता को ऑडिट के संबंध में सौंपे गये आवेदन में कहा गया है कि कोरोना काल में राज्य में 5000 से अधिक लोगों ने अपनी जान भी गंवायी. पर पैसे वसूलने में निजी अस्पतालों ने कोई दया नहीं दिखायी. प्राइवेट अस्पतालों और नर्सिंग होम की ओर से जो स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करायी गयीं और सेवा के एवज में उन्होंने लोगों से जो पैसे लिये, उसका ऑडिट हो. यह कितना उचित था, इसकी जांच जरूरी है. इसके लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित होनी चाहिए. वह यह देखें कि कोरोना काल में जब पूरी अर्थव्यवस्था ठप थी, तब भी अस्पतालों ने हजारों करोड़ रुपये स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर किस तरह से कमा लिये.
राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने और आधारभूत संरचना में सुधार के लिए सरकार प्रयास कर रही है. प्राइवेट अस्पतालों को भी सरकार के स्तर से मदद मुहैया करायी गयी. बावजूद इसके प्राइवेट अस्पतालों ने गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को अपने जाल में फंसाया. इसकी भी उच्चस्तरीय समीक्षा जरूरी है. आवेदन की प्रतिलिपि वित्त मंत्री और मुख्य सचिव को भी उपलब्ध करायी गयी है.
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