
Lucknow: बाबरी विध्वंस की बरसी को लेकर यूपी पुलिस ने सुरक्षा कड़ी कर दी है. हालांकि, हिंदू और मुस्लिम धार्मिक नेता बाबरी विध्वंस की बरसी को अधिक तवज्जो नहीं देने की बात कर रहे हैं. क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या विवाद पर अपना फैसला दे दिया है. लेकिन पुलिस इस मौके पर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है.
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अधिकारी ने बताया कि नौ नवंबर को अयोध्या प्रकरण पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के मद्देनजर जिस तरह की सुरक्षा व्यवस्था की गई थी, उसी तरह की तैयारी अयोध्या में की गई है.
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उल्लेखनीय है कि विवादित स्थल पर मौजूद ढांचे ढहाने की बरसी पर दक्षिणपंथी हिंदू संगठन जश्न मनाते थे. वहीं कुछ मुस्लिम संगठन इस दिन शोक मनाते थे.
फैसले के बाद बाबरी विध्वंस को तव्वजो नहीं
राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दोनों धर्मों के नेता बाबरी विध्वंस की बरसी को ज्यादा तरजीह नहीं दे रहे हैं.
इस बार ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआइएमपीएलबी) ने कहा कि ‘गम के दिन’ के तौर पर मनाया जाएगा, लेकिन यह लोगों पर निर्भर है.
एआइएमपीएलबी के वरिष्ठ पदाधिकारी जफरयाब जिलानी ने कहा, ‘ यौम-ए-गम मनाया जाएगा जैसा पिछले साल मनाया गया था. बहरहाल, यह लोगों पर है कि वे शामिल होते हैं या नहीं.’
विश्व हिंदू परिषद जो अबतक इस दिन को शौर्य दिवस के रूप में मनाती थी, ने बाबरी विध्वंस की 27वीं बरसी नहीं मनाने का फैसला किया है.
विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा, ‘कोई सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं होगा. लोग विभिन्न मंदिरों में मिट्टी के दिये जला सकते हैं. यह भी गौर करना होगा कि सत्य की जीत हुई है और अब उत्सव की कोई प्रासंगिकता नहीं है.’
वहीं रामजन्म भूमि न्यास के मुखिया महंत नृत्य गोपाल दास ने भी 30 नवंबर को ही इस दिन को शौर्य दिवस के रूप में नहीं बनाने की अपील की थी. उन्होंने कहा था कि उच्चतम न्यायालय का फैसला आने के बाद इस तरह के आयोजन का कोई औचित्य नहीं है.
राम जन्मभूमि के नजदीक तेढ़ी बाजार मस्जिद के मौलाना शफीक आलम ने गुरुवार को कहा कि जुमे की नमाज मस्जिद में दोपहर एक बजे होगी. उन्होंने कहा कि इसमें 150 से 200 नमाजियों के शामिल होने की उम्मीद है.
शफीक आलम ने उच्चतम न्यायालय के फैसले के एक दिन पहले आठ नवंबर को याद करते हुए कहा, ‘ इस इलाके में 40-50 मुस्लिम परिवार हैं जिनमें से 30 परिवारों ने महिलाओं को दूसरे स्थान पर भेज दिया था. कुछ आर्थिक रूप से मजबूत परिवार न्यायालय का फैसला आने से पहले दूसरे स्थान पर चले गए थे.
अधिकतर लोग 14 नवंबर के बाद लौट आए. यहां कोई झड़प नहीं हुई लेकिन फैसले को लेकर लोग दुखी हैं. मैं भी अपने पैतृक स्थान बिहार के गया चला गया था और 19 नवंबर को लौटा. पुलिस बहुत मददगार रही.’
शफीक आलम ने बाहरी लोगों पर अयोध्या का माहौल खराब करने का आरोप लगाया, साथ ही कहा कि उनके हिंदू पड़ोसी बहुत अच्छे हैं.
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पुलिस चौकस, सुरक्षा कड़ी
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) पीवी रामशास्त्री ने न्यूज एजेंसी पीटीआइ से कहा, ‘ छह दिसंबर की सुरक्षा व्यवस्था नौ नवंबर को की गई सुरक्षा व्यवस्था की जैसी होगी.’’
अयोध्या के एसएसपी आशीष तिवारी ने कहा कि पूरे जिले को चार क्षेत्रों, 10 सेक्टर और 14 उप सेक्टर में बांटा गया है.
एसएसपी ने कहा, ‘ रेत की बोरियों से 78 चौकियां स्थापित की गई है जिसमें सशस्त्र पुलिस कर्मी तैनात किए गए हैं. यातायात को नियंत्रित करने के लिए अवरोधक लगाए गए हैं. संवेदनशील इलाकों में 269 पुलिस बूथ स्थापित किए गए हैं.’
तिवारी ने कहा कि 305 शरारती तत्वों की पहचान की गई है और उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई है. इसके अलावा नौ त्वरित कार्रवाई दल तैनात किए गए हैं.
उन्होंने कहा कि किसी आपात स्थिति से निपटने के लिए पांच गिरफ्तारी पार्टियों का गठन किया गया है. इसके अलावा 10 अस्थायी कारावास बनाए गए हैं.
मुजफ्फरनगर में शैक्षणिक संस्थान बंद
मुजफ्फरनगर जिला प्रशासन ने छह दिसंबर को बाबरी मस्जिद विध्वसं की बरसी के मद्देनजर सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद रखने का आदेश दिया और सुरक्षा कड़ी कर दी है.
मुजफ्फरनगर की जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी ने कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए ये कदम उठाये गये हैं.
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी की अगुवाई में पुलिस और प्रादेशक सशस्त्र बल के जवानों ने मुजफ्फनगर की सड़कों पर फ्लैग मार्च निकाला.
तिवारी ने बताया कि उपद्रव रोधी टीम होटलों, धर्मशालाओं और अन्य सार्वजनिक स्थानों की तलाशी ले रही है.
उन्होंने कहा कि लोगों से अपील की जाती है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि या व्यक्ति की तुरंत जानकारी पुलिस को दें.
एसएसपी ने बताया कि जनता से कहा गया है कि वे किसी अफवाह का शिकार नहीं बने और सौहार्द बनाए रखे.
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