
Ranchi: रेलवे प्रोटेक्टशन फोर्स (आरपीएफ) रेल संपत्ति की सुरक्षा के साथ पैसेंजर्स को भी सुरक्षित माहौल देने का फर्ज निभा रहा है. वहीं आरपीएफ की अलग-अलग यूनिट ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते और ऑपरेशन अमानत भी टास्क को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही. यहीं वजह है कि एक ओर जहां रेलवे स्टेशनों से बच्चों को रेस्क्यू किया जा रहा है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक साल में 261 बच्चे केवल रांची डिवीजन से रेस्क्यू किए गए. वहीं दूसरी ओर लोगों के सामान ट्रेन में छूट जाने के बाद उन्हें ढूंढकर लौटाया जा रहा है. जिससे साफ है कि आरपीएफ अब पैसेंजर्स का भरोसा जीतने में सफल साबित हो रहा है.
लोगों की लौटाई अमानत
आरपीएफ की टीम अलग-अलग ऑपरेशन चला रही है. बीते एक साल में ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते के तहत 89 बच्चे और 171 बच्चियां रेस्क्यू की गई. वहीं ऑपरेशन अमानत के तहत 112 बैग, 6 लैपटॉप, 42 मोबाइल, 23 पर्स व 19 अन्य सामान छूटने के बाद उनके मालिकों को हैंड ओवर किया गया.



केस 1



19 मई को ट्रेन 13303 की सील चेकिंग के दौरान आरपीएफ रांची के प्रधान आरक्षी वीके भारती ने एक फोन (Oppo A5 2020 , मूल्य 12999 रुपये) कोच नंबर 03 की सीट नंबर 3 पर देखा. उन्होंने इंक्वायरी काउंटर पर जाकर अनाउंसमेंट कराया. कुछ समय बाद सुमित कुमार आरपीएफ पोस्ट रांची में आए और डॉक्यूमेंट्स दिखाया. वेरीफिकेशन के बाद मोबाइल फोन उन्हें सौंप दिया गया.
केस 2
रांची डिवीजन के रामगढ़ आउट पोस्ट के आरपीएफ उप निरीक्षक विजय कुमार यादव हेड कांस्टेबल संतोष कुमार, कांस्टेबल रविकांत के साथ 21 मई को लगभग 08:00 बजे रामगढ़ कैंट स्टेशन चेकिंग के दौरान प्लेटफार्म नंबर 1 पर एक नाबालिग लड़का अकेला बैठा मिला. पूछताछ पर नाम आकाश और उम्र 14 साल बताया. पिता मो. नसीम, मेसौल आज़ाद चौक, थाना- डुमरा ज़िला- सीतामढ़ी, बिहार का एड्रेस बताया. साथ ही बताया कि घर से भाग कर रामगढ़ आ गया. घरवालों का नंबर लेकर उन्हें जानकारी दी गई. घरवालों ने उसे घर ले जाने से इंकार कर दिया. इसके बाद उसे चाइल्ड लाइन बरकाकाना को सौंप दिया गया.