
Ranchi: बुधवार को राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने सीएस सुधीर त्रिपाठी को अपने आवास पर तलब कर जनजातीय कार्य मंत्रालय बनाने का निर्देश दिया. ऐसा नहीं है कि जनजातीय मंत्रालय बनाने की बात राज्यपाल ने पहली बार कही हो, या इस बारे पहली बार सरकार को कहा गया हो. मामले को लेकर राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने भी एक चिट्ठी सीएस सुधीर त्रिपाठी को लिखी है. अपनी चिट्ठी के साथ उन्होंने वो खत भी साझा किया है जो उन्होंने सीएम को करीब 22 महीने पहले लिखा था. इसके अलावा सीएम की तरफ से जो आश्वासन मंत्री को दिया गया था, वो चिट्ठी भी मंत्री सरयू राय ने सीएस को अपनी चिट्ठी के साथ दी है.
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मंत्री बनाना सीएम का विशेषाधिकार, फिर भी आश्वासन में कहा “लिखा है विभाग को”




मंत्री सरयू राय ने जो चिट्ठी सीएम रघुवर दास को आठ जुलाई 2016 को लिखी थी, उसमें उन्होंने इस बात का जिक्र किया है कि 10 जून 2016 को वो और मंत्री लुईस मरांडी ने राज्यपाल से मुलाकात की थी. मुलाकात के दौरान दो विषयों पर चर्चा हुई. पहला राज्य मंत्रिमंडल में एक स्थान का खाली होना और दूसरा भारत के संविधान के अनुच्छेद 164 के मुताबिक राज्य में जनजातीय मामलों के लिए अलग मंत्रालय बनाना. इस चिट्ठी में सरयू राय ने साफ लिखा कि मंत्रालय बनाने का विशेषाधिकार मुख्यमंत्री के पास होता है. राज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह पर मंत्री की नियुक्ति करता है. उन्होंने लिखा कि राज्यपाल का मत है कि संविधान के अनुच्छेद 164 के तहत अनुसूचित जनजातीय कल्याण मामले में एक अलग मंत्री होना चाहिए. इस चिट्ठी का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने 14 जुलाई 2016 को मंत्री को लिखा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 164 के मुताबिक आपने जो ध्यान आकृष्ट कराया है. मामले में संज्ञान लेते हुए कार्रवाई के लिए संबंधित विभाग को भेज दिया गया है.
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किस विभाग को सीएम ने निर्देश दिया, कोई उल्लेख नहीं
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 14 जुलाई 2016 को मंत्री सरयू राय की चिट्ठी का जवाब दिया था. आश्वासन दिया था कि संबंधित विभाग को कार्रवाई के लिए लिख दिया गया है. लेकिन किस विभाग को लिखा है, इस बात का उल्लेख नहीं किया. जबकि नया मंत्री रखना या मंत्रालय बनाना खुद मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार होता है. सीएम के मंत्री को जवाब दिए जाने के बाद करीब 22 महीने बीत गए. लेकिन यह समझ के परे है कि आखिर किस विभाग को सीएम ने कार्रवाई के लिए लिखा था. क्या जिस विभाग को सीएम की चिट्ठी गयी उसने सीएम के निर्देशों को नजरअंदाज किया. नतीजा यह है कि ना ही मंत्रिमंडल का कोरम पूरा है और ना ही जनजातीय मामलों के लिए मंत्रालय का गठन हुआ. अब इस मामले को लेकर राज्यपाल को एक बार फिर से हस्तक्षेप करना पड़ रहा है.
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