दिल्ली: 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में पूर्व संचार मंत्री अरुण शौरी के कार्यकाल को सीबीआई क्लीन चिट देगी. शौरी के कार्यकाल के दौरान हुई अनियमितताओं की जांच के लिए दर्ज प्राथमिकी जांच (पीई) को सीबीआई जल्द ही बंद कर न्यायालय को बता देगी.
सूत्रों के अनुसार स्पेक्ट्रम आवंटन में 2001 से 2007 के बीच हुई अनियमितताओं की जांच कर रही सीबीआई ने गहन जांच के बाद मन बना लिया है कि पूर्व संचार मंत्री अरुण शौरी के कार्यकाल की जांच के लिए दर्ज पीई को बंद कर दिया जाए.
सीबीआई को उनके कार्यकाल के दौरान स्पेक्ट्रम आवंटन में ऐसी कोई गड़बड़ी नहीं मिली जिससे पीई को मुकदमे में तब्दील किया जाए. हालांकि सीबीआई को पूर्व संचार मंत्री प्रमोद महाजन के कार्यकाल के दौरान हुए स्पेक्ट्रम आवंटन में अनियमितताएं मिली है जिस कारण महाजन के कार्यकाल के दौरान हुई आवंटन में दर्ज पीई को लेकर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.
स्पेक्ट्रम आवंटन में जो पीई दर्ज किया गया था, वह ‘पहले आओ पहले पाओ’ नीति में गड़बड़ी की जांच के लिए था. सीबीआई ने इस बाबत जस्टिस शिवराज पाटिल कमेटी की रिपोर्ट का भी गहन अध्ययन किया जिसमें एनडीए कार्यकाल के दौरान स्पेक्ट्रम आवंटन में हुई गड़बड़ियों को उल्लेखित किया था.


सूत्रों के अनुसार जहां तक अरुण शौरी के कार्यकाल की बात है उसमें सीबीआई को कोई गड़बड़ी या अनियमितता नहीं मिली है. सीबीआई ने इस बाबत दो बार अरुण शौरी का बयान भी दर्ज कर चुकी है. इसके अलावा संचार मंत्रालय के कई अधिकारियों का भी बयान दर्ज किया गया था.


सूत्रों के अनुसार सीबीआई शौरी से संबंधित पीई बंद करने का अपना निर्णय बहुत जल्द ही संबंधित न्यायालय को औपचारिक रूप से बता देगी. सीबीआई ने पूर्व संचार मंत्री स्व. प्रमोद महाजन के कार्यकाल में हुई गड़बड़ियों की जांच पूरी कर ली है और जल्द ही इस बाबत आरोप पत्र दाखिल करने वाली है.
सीबीआई अभी तक संचार मंत्रालय के 20 से ज्यादा वरिष्ठ अधिकारियों का बयान दर्ज कर चुकी है. सीबीआई ने इस मामले में 29 नवम्बर 2011 में मुकदमा दर्ज किया था जिसमें संचार सचिव श्यामल घोष, पूर्व निदेशक जनरल जेआर गुप्ता और तीन निजी कंपनियों को नामजद किया था.