
Jamshedpur : नृत्य सम्राट पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज के निधन पर लौहनगरी के कलाप्रेमी भी शोकाकुल हैं. सुबह में उनके निधन की खबर के साथ ही शहर के कलाकारों ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दी और इसे कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया. जमशेदपुर म्यूजिक सर्किल के महासचिव सुभाष बोस कहते हैं कि पंडित बिरजू महाराज के साथ एक युग का अंत हो गया. वे केवल नृत्य गुरु नहीं थे, मास्टर म्यूजिशियन थे. वे जितने बेहतरीन नृत्य करते थे, उतना ही बेहतरीन तबला, पखावज और हारमोनियम भी बजाते थे. शास्त्रीय गायन तो कमाल का था. बिरजू महाराज केवल रियाज से नहीं बना जा सकता. वे एक जन्मजात कलाकार थे. बोस ने बताया कि पंडित बिरजू महाराज जमशेदपुर में कई बार आये थे. अंतिम बार 2006 में आये थे, जब संगीत कला केंद्र की गीता तिवारी ने रवींद्र भवन में एक वर्कशॉप के लिए उन्हें बुलाया था. उस वर्कशॉप में शहर के नवोदित कलाकारों को अपनी कला को मांजने का मौका मिला था. उसके बाद बिरजू महाराज के बेटे दीपक महाराज कुछ साल पहले एक वर्कशॉप को लेकर शहर आये थे. उन्होंने सेंटर फॉर एक्सीलेंस में इस कार्यशाला का संचालन किया था. कला उद्यान के राकेश चौधरी और नवोमिता शील की ओर से दीपक महाराज आमंत्रित थे. उन्होंने दो दिन रहकर शहर के कलाकारों को नृत्य की बारीकियां सिखाई थीं.

निधन पर म्यूजिक सर्किल ने की शोक सभा
जमशेदपुर म्यूजिक सर्किल की ओर से सोमवार को नृत्य सम्राट पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज जी के आकस्मिक निधन पर गहरा शोक प्रकट किया गया. संस्था के पदाधिकारियों ने कहा कि 83 वर्षीय पंडित जी लखनऊ के “कालका-बिंदादिन” घराने को प्रकाशित करते हुए सोमवार को सुर्योदयापरांत हम सभी को असहाय छोड़कर, ब्रह्म-लोक की ओर महाप्रयाण कर गये. नृत्य-गीत-वाद्य के महाज्ञानी और अपने आप में एक संपूर्ण कला-विश्वविद्यालय के समान पंडित जी के निधन से संपूर्ण कला जगत स्तब्ध व शोकाकुल है. पदाधिकारियों ने कहा कि सांस्कृतिक नगरी जमशेदपुर की मिट्टी को कई बार धन्य कर चुके पंडित जी को हम संपूर्ण जमशेदपुर के कलाकारों तथा संगीत प्रेमियों की ओर से अश्रूपुरित श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. शोक सभा में संस्था के अध्यक्ष अनिरुद्ध सेन, सुभाष बोस, अमिताभ सेन, सुजीत राय एवं अशोक कुमार सिंह मौजूद थे.
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