

Jamshedpur : इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) की कल्पना नहीं की जा सकती, अगर शहर में टाटा फुटबॉल अकादमी नहीं होती. इस अकादमी का महत्व इसी से समझा जा सकता है कि इस अकादमी के कुल 252 कैडेटों में से 150 कैडेटों ने देश का प्रतिनिधित्व किया है, यानी 60 फीसदी से अधिक. यही नहीं, 24 कैडेटों ने विभिन्न आयु वर्ग की प्रतियोगिताओं में भारतीय फुटबॉल टीम की कप्तानी की. मौजूदा इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में 21 पूर्व कैडेट विभिन्न क्लबों के लिए खेल रहे हैं. साथ ही पूर्व कैडेट दीपक मंडल और सुब्रत पॉल को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. यह अकादमी सोमवार 17 जनवरी को अपनी स्थापना के 35 साल पूरा करने जा रही हैं. 17 जनवरी 1987 को टाटा स्टील के तत्कालीन अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक रूसी मोदी ने इस अकादमी की नींव रखी थी. अकादमी उनके दिमाग की उपज थी. पहले बैच के लिए 20 कैडेटों का चयन किया गया था. सभा को संबोधित करते हुए रूसी मोदी ने कहा था कि अकादमी की स्थापना में टाटा का उद्देश्य टाटा टीम बनाना या यहां तक कि एक अच्छी टीम बनाना नहीं है, बल्कि भारत को एक ठोस आधार प्रदान करना है जिस पर अगले पांच वर्षों में फुटबॉल का निर्माण किया जा सके. अकादमी का उद्देश्य सबसे वैज्ञानिक तरीके से देश भर के नवोदित फुटबॉलरों का चयन, पोषण और उन्हें तैयार करना है.
इसे भी पढ़ें – दिसंबर में 2.50 लाख व्हिस्की और जनवरी में अब तक 78 हजार बीयर की बोतल बिकी