
Pratik Piyush

Jamshedpur : जमशेदपुर के परसूडीह स्थित बाजार समिति में प्रशासन द्वारा की गयी छापामारी के दौरान डबल हाथी मार्का सरसों तेल के घटिया होने और खाने योग्य नहीं होने की रिपोर्ट आयी है. इसके बाद एसडीओ संदीप मीणा ने शहरवासियों से इस तेल का उपयोग नहीं करने की अपील की है. हर साल त्योहारों के सीजन में दूध, पनीर व मिठाइयों की मांग बढ़ जाती है. ऐसे में तेल और मसालोंं के साथ इन सामानों में भी बड़े पैमाने पर मिलावट की जाती है. लेकिन दुखद बात यह है कि झारखंड में खाद्य पदार्थों की जांच के लिए कोई प्रमाणिक प्रयोगशाला नहीं होने के कारण सैपल को जांच के लिए कोलकाता भेजना पड़ता है. बता दें कि रांची स्थित राज्य खाद्य प्रयोगशाला की औपबंधिक मान्यता समाप्त हो जाने के बाद एनएबीएल (नेशनल एक्रीडिएशन बोर्ड ऑफ टेस्टिंग कैलीब्रेशन लैबोरेट्रीज) ने जांच पर रोक लगा दी है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस प्रयोगशाला के एनएबीएल सर्टिफिकेशन के लिए कुछ भी नहीं किया जा रहा है. लैब की मान्यता रद्द होने से अब राज्य में मिलावटी खाद्य पदार्थों के कारोबार पर लगाम लगाना मुश्किल हो गया हैं.

कोलकाता से 15 दिन बाद मिल पाती है सैंपल की रिपोर्ट
दरअसल राज्य के एकमात्र स्टेट फूड टेस्टिंग लेबोरेटरी की मान्यता एनएबीएल ने रद्द कर दी है. उस के बाद से खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से कोई भी कार्यवाही की जाती है, तो सैंपल को जांच के लिए कोलकाता भेजना पड़ता है, जिस की रिपोर्ट आने में 15 दिन से यज्यादा का समय लग जाता है. खाद्य सुरक्षा यानी फूड सेफ्टी विभाग स्वासथ्य विभाग के अंतर्गत आता है. राज्य में फूड सेफ्टी इंस्पेक्टर से लेकर खाद्य सुरक्षा आयुक्त तक के पद है, लेकिन नामकुम स्थित राज्य खाद्य प्रयोगशाला एनएबीएल के मानकों के अनुसार 2020 तक अपग्रेड नहीं हो सकी है. खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम 2006 के अनुसार फूड टेस्टिंग लैब का एनएबीएल से मान्यता प्राप्त होना जरूरी है. 2006 से स्टेट लैब चल रही थी और इसे 2011 तक एनएबीएल के मानक के अनुसार विकसित हो जाना चाहिए था, लेकिन 2020 तक ऐैसा नहीं हुआ, तो एनएबीएल ने इसकी औपबंधिक (प्रोविजनल मान्यता) रद्द कर दी. इस वजह से अब इस लैब में होने वाली जांच की कोई वैधानिक मान्यता ही नहीं रह गयी है.
दशहरा-दीवाली के दो-चार दिन पहले शुरू होती है कार्रवाई
शहर में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से दीवाली से दो-चार दिन पहले ही दुकानों में जाकर फूड सैंपल की जांच शुरू होती है. यह बस एक रस्म अदायगी है. अगर स्वास्थ्य विभाग सचमुच में मिलावट रोकने और लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करने को लेकर गंभीर और सजग है, तो उसे नियमित रूप से जांच करनी चाहिए. अभी की स्थिति में अगर कार्रवाई के बाद किसी भी दुकान के सैंपल की जांच रिपोर्ट गड़बड़ मिलती है, तो तब तक तो बड़ी संख्या में शहरवासी मिलावटी सामान खा चुके होंगे और उसके दुष्प्रभाव की चपेट में आ चुके होंगे.
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