
Ranchi : बीते 20 साल के मुकाबले वर्ष 2020-21 में झारखंड सरकार ने अपने कुल बजट का लगभग 16 फीसदी (15.64 %) हिस्सा एजुकेशन को आवंटित किया है. यह हिस्सा अब तक का सबसे बड़ा हिस्सा है. वहीं 20 साल में राज्य में स्कूलों की संख्या 20 हजार से 35447 हो गयी. शिक्षकों की संख्या 45 हजार से सवा लाख (1.20 लाख) हो गयी. स्कूलों में पढ़ाई करने वाले छात्रों की संख्या भी 27 लाख से 42 लाख हो गयी. इसके बावजूद राज्य में चलने वाले कई विशेष श्रेणी के स्कूल अब भी उधार के भवन और ठेके के शिक्षकों के भरोसे हैं.
राजनीतिक हित के लिए बड़े-बड़े आयोजनों में घोषणा तो कर दी जाती है. उसी आननफानन में नये स्कूल शुरू हो जाता है, पर एक समय के बाद व्यवस्था ‘ढाक के तीन पात‘ ही नजर आती है. ऐसी ही राजनीतिक महत्वाकांक्षा और व्यवस्था के दुरूपयोग का उदाहरण राज्य में चल रहा झारखंड आवासीय बालिका विद्यालय है. इसे रघुवर दास सरकार के कार्यकाल में साल 2015-16 में शुरू किया गया था. आज पांच साल बाद भी ये स्कूल भवन और स्थायी शिक्षकों की राह ही देख रहा है.
क्या है झारखंड आवासीय बालिका विद्यालय
रघुवर दास सरकार में साल 2015-16 में इस स्कूल की शुरुआत की गयी. इसके कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय के तर्ज पर शुरू किया गया. इस झारखंड आवासीय बालिका विद्यालय की संख्या राज्य में 57 है. लेकिन इन विद्यालयों के न तो अब तक अपने भवन मिले और न ही स्थायी शिक्षक. अपने शुरुआत के पांच साल बाद भी ये स्कूल कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय के तर्ज पर शुरू हुए और उन्हीं के भरोसे संचालित हो रहे हैं. स्पष्ट कहें तो बीतें पांच साल में यहां राज्य की लगभग 10 हजार बेटियों का एडमिशन हो चुका है. और उनका भविष्य उधार की बिल्डिंग में ठेके के शिक्षकों के भरोसे गढ़ा जा रहा है.
झारखंड के जिलों में बालिका आवासीय विद्यालय की संख्या
बोकारो 01
चतरा 02
देवघर 02
धनबाद 03
पूर्वी सिंहभूम 02
गढ़वा 05
गिरिडीह 01
गोड्डा 01
गुमला 02
हजारीबाग 06
जामताड़ा 02
खूंटी 01
कोडरमा 02
लातेहार 03
लोहरदगा 02
पलामू 08
रामगढ़ 02
रांची 05
सरायकेला 01
सिमडेगा 03
पश्चिमी सिंहभूम 03
15 भवन तैयार, पैसा भी आवंटित, फिर भी नहीं हो रही पढ़ाई
57 झारखंड आवासीय बालिका विद्यालय के भवन के लिए 228 करोड़ रुपये खर्च होने हैं. एक स्कूल भवन बनाने में चार करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं. अब तक 15 भवन बन कर तैयार है. मार्च के अंत तक 05 भवन और बन जायेंगे. जहां 15 भवन बन चुके हैं, उनके संचालन के लिए पैसे भी आवंटित कर दिये गये हैं. पर संचालन की व्यवस्था हॉस्टल बेड, किचन के सामान, बेंच डेस्क आदि नहीं होने की वजह से स्कूल शुरू नहीं हो पाये हैं. संचालन की व्यवस्था का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हर साल समय पर इन स्कूलों के संचालन के लिए पैसे आवंटित होते भी नहीं. ऐसे में स्कूलों का संचालन कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय को आवंटित किये गये फंड के भरोसे उन्हीं स्कूलों के भवन में संचालित हो रहे हैं. इन स्कूलों के संचालन के लिए साल 2019-20 का पैसा भी नहीं दिया गया है.