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Ranchi: डिजीटाइजेशन के दावे राज्य में पूरी तरह खरे नहीं उतर रहे हैं. तीन साल पहले केंद्र सरकार की ओर से ऑनलाइन लैंड रिकॉर्ड डिजिटल करने का आदेश दिया गया. बावजूद इसके राज्य में कुछ ऐसे रैयत हैं जिनके जमीन के डिटेल्स अब तक ऑनलाइन नहीं किये गये हैं. इसके कारण ये रैयत सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे है. कुछ ऐसी ही बानगी पलामू के पण्डवा ब्लॉक के छिछौरी गांव की है. जहां ऑनलाइन जमीन डिटेल्स नहीं होने से रैयतों को आरटीआइ से लेकर मुख्यमंत्री जनसंवाद का सहारा लेना पड़ रहा है.
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रैयत हरिलाल महतो को 22 एकड़ जमीन के रिकॉर्डस ने मिले
पिछले साल अक्टूबर से मुख्यमंत्री जनसंवाद में रैयत हरिलाल महतो के परिवार वाले अपने 22 एकड़ जमीन की जानकारी ऑनलाइन नहीं किये जाने की शिकायत की. लेकिन अभी तक अंचल अधिकारियों की ओर से इस जमीन के रिकॉर्डस ऑनलाइन नहीं किये गये हैं. मुख्यमंत्री जनंसवाद की ओर से इस मामले मे आखिरी कार्रवाई 17 जनवरी 2020 को की गयी. इसमें अंचल अधिकारी को लिखा गया कि मामला उनसे संबधित है और ऑनलाइन करने की प्रक्रिया उनके डेस्क में लंबित है. जिसे गंभीरता से लिया जायें. बावजूद इसके अब तक अंचल कार्यालय ने जमीन ऑनलाइन नहीं की.
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विभागीय सचिव ने दी थी डिजिटाईजेशन की जानकारी
इस संबध में विभागीय सचिव केके सोन ने इस साल सितंबर में दावा किया कि सभी खतियानों का डिजिटाइजेशन कर लिया गया है. उन्होंने इसकी जानकारी मुख्यमंत्री, प्रधान सचिव समेत सभी अचंल अधिकारियों को दी. ये पत्र राज्य के आधिकारिक वेबसाइट पर भी उपलब्ध है. इस पत्र में उन्होंने दावा किया है कि सभी निबंधन कार्यालयों को अंचल कार्यालयों से जोड़ा गया है. ऑनलाइन दाखिल खारिज और ऑनलाइन भुगतान साल 2013 से 2018 तक चरणबद्ध तरीके से लागू है. सिर्फ मानकी मुंडा और ग्राम प्रधान वाले क्षेत्रों को परंपरागत महत्व को देखते हुए ऑफलाइन रखा गया है. जिसके अंचल अधिकारी ऑनलाइन अपडेट करेंगे. ऐसे में सारी जानकारियां ऑनलाइन कर दी गयी है.
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सीपीग्राम में की गयी शिकायत
हरिलाल महतो के परिवार वालों ने मुख्यमंत्री जनसंवाद के साथ सीपीग्राम में भी इसकी शिकायत की. बात दें सीपीग्राम केंद्र सरकार का संवाद शिकायत केंद्र है. जहां लोग ऐसे मामलों की शिकायत करते है. शिकायतकर्ता सूर्यकांत वर्मा ने बताया कि सीपीग्राम में सितंबर में शिकायत की गयी. अपडेट देखने से जानकारी मिली कि सीपीग्राम की ओर से इस संज्ञान लिया गया है. जिला अधिकारी को इसकी जानकारी दी गयी है, लेकिन अभी तक इसमें कोई कार्रवाई नहीं हुई है. जबकि जमीन और कार्रवाई की जानकारी लेने के लिये आरटीआई भी की गयी. लेकिन अधिकारियों की ओर से आरटीआइ की भी पूरी जानकारी नहीं दी गयी.
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सरकारी योजनाओं का लाभ तक नहीं मिल पाता
सूर्यकांत ने बताया कि जमीन का कुछ हिस्सा बेचना बेहद जरूरी है. क्योंकि इनकी भाभी ब्रेन कैंसर से पीड़ित है. दो बार ऑपरेशन हो गया है. परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी है नहीं, ऐसे में जमीन बेचना ही है एकमात्र विकल्प है. लेकिन जमीन की जानकारी ऑनलाइन नहीं होने के कारण जमीन नहीं बिक रही. सरकारी योजनाओं की जानकारी देते हुए इन्होंने कहा कि सरकारी योजनाओं का लाभ तक ऑनलाइन डिटेल्स नहीं होने के कारण मिल पाता. मुख्यमंत्री आशीर्वाद योजना का लाभ भी इसके कारण नहीं मिल पाया.
गौरतलब है कि साल 2017 में केंद्र सरकार ने नेशनल लैंड रिकॉर्ड मार्डनाइजेशन कार्यक्रम की शुरुआत की. जिसके तहत सभी खतियान की जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध होनी चाहिये. इनका भुगतान भी रैयत ऑनलाइन कर सकते है.
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