नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार से मंगलवार को बैंकों और एटीएम के बाहर मची अफरातफरी की स्थिति से निपटने के लिए अब तक उठाए गए या उठाए जाने वाले संभावित कदमों के बारे में जानकारी मांगी। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस.ठाकुर और न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ की पीठ ने केंद्र सरकार को औपचारिक नोटिस जारी किए बिना जवाब पेश करने को निर्देश दिया और कहा कि न्यायालय सरकार की नीति में हस्तक्षेप नहीं करेगा।
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने नोटबंदी को आम लोगों के खिलाफ ‘सर्जिकल कार्रवाई’ बताया।
लोगों की कठिनाइयों और अमान्य नोटों के संबंध में कानूनी प्रावधानों का उल्लेख करते हुए सिब्बल ने कहा, “आप कालाधन के खिलाफ ‘सर्जिकल कार्रवाई’ कर सकते हैं, लेकिन आम जनता के खिलाफ आप ‘सर्जिकल कार्रवाई’ नहीं कर सकते।”


नोटबंदी के सरकार के फैसले पर स्थगन नहीं चाहने की मंशा जाहिर करते हुए सिब्बल ने कहा, “हम कालाधन पर रोक लगाने में सरकार के साथ हैं, लेकिन लोगों को जो कठिनाई हो रही है, वह जायज नहीं है। यह उनके जीवन को खतरे में डाल रहा है।”




सरकार के फैसले को विधि सम्मत बताते हुए महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने स्वीकार किया कि इस तरह के सरकार के किसी फैसले से कुछ दर्द होगा, लेकिन उन्होंने अदालत से इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करने का अनुरोध किया, क्योंकि ये मामले आर्थिक नीति से संबंधित हैं।
इस पर मुख्य न्यायमूर्ति टी.एस.ठाकुर ने कहा, “हम आपके नीतिगत मामले में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं।”