नृत्य, संगीत हमारी संस्कृति की पहचान:- मुख्यमंत्री
रांची: मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि विकास के लिए शोध जरूरी है। हमारे यहां शोध पर खर्च करने की परंपरा कम रही है। हमारी सरकार ने शोध की महत्ता को देखते हुए शोध संस्थानों को मजबूत करने के लिए जरूरी कदम उठाये हैं। शोध करके न केवल हम अपने अतीत के बारे में जान सकते हैं, बल्कि भविष्य की भी तैयारी भी कर सकते हैं। श्री दास बुधवार को रांची विश्वविद्यालय में सरहुल मिलन समारोह में लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शोध करने के लिए छात्र दूसरे राज्य जाना चाहें, तो सरकार उनकी मदद करेगी।
मख्यमंत्री ने कहा कि रिक्तियां सहित अन्य लम्बित मामलों पर कार्रवाई करने का निदेष सचिव, उच्च शिक्षा को दिया गया है। श्री दास ने कहा कि नृत्य, संगीत हमारी संस्कृति की पहचान है। सरकार हर गांव में अखड़ा बनायेगी। यहां लोग न केवल अपनी संस्कृति की पहचान बरकरार रख सकेंगे बल्कि मनोरंजन भी कर पायेंगे। प्रत्येक वर्ष यहां प्रतियोगिताओं का आयोजन कराया जायेगा। इसके बाद पंचायत स्तर, प्रखंड स्तर, जिला स्तर पर प्रतियोगिता होगी। इनमें चयनित कलाकारों को जनजातीय संस्कृति मेला के नाम से मोरहाबादी में तीन दिन की राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में पुरस्कृत किया जायेगा। इस मेला के आयोजन से हमारी संस्कृति की पहचान पूरी दुनिया में हो सकेगी। दुनिया आदिवासी संस्कृति, उनकी परम्परा, रीति-रिवाज, रहन-सहन, खान-पान, लोक-कला, लोक-गीत एवं लोक-नृत्य इत्यादि के विषय में जानना चाहती है। इसमें शोध संस्थान एवं तीन दिवसीय जनजातीय संस्कृति मेला अहम भूमिका अदा कर सकता है। मेला के आयोजन से टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा। विदेशी पर्यटकों के आने से विदेशी मुद्रा भी प्राप्त होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड के आदिवासी समाज ने राज्य को विकसित करने के लिए काफी खून पसीना बहाया है। आजादी के 70 वर्ष के बाद भी गांव की दशा नहीं सुधरी है। इसके लिए कौन जिम्मेवार है? श्री दास ने कहा कि पर्व-त्योहार संस्कृति के स्तम्भ होते हैं। ये जोड़ने का कार्य करते हैं। पर्व-त्योहार पूरे धूम-धाम, उल्लास एवं उत्साह के साथ मनाएं लेकिन अनुषासन भी रखें। हम पर्व-त्योहार इस तरह मनाएं कि पहरा की आवष्यकता नहीं पड़े।
(आईपीआरडी)