नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राजमार्गो पर वाहन लगाए जाने की शिकायत पर कोई कदम नहीं उठाने पर केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया और 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया। इस याचिका में कहा गया है कि राजमार्गो पर वाहन लगाया जाना दुर्घटनाओं का मुख्य कारण है।
सर्वोच्च न्यायालय ने अपना काम न करने पर निचली अदालतों की भी आलोचना की।
प्रधान न्यायाधीश टी.एस. ठाकुर, न्यायाधीश ए.एम. खानविलकर और न्यायाधीश डी.वाई.चंद्रचूड़ की खंडपीठ ने इस संदर्भ में वर्ष 2013 में दी गई अर्जी पर इतने वर्षो बाद भी कोई कार्यवाही न करने पर केंद्र सरकार की आलोचना की।


गौरतलब है कि एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) सेव लाइफ फाउंडेशन ने 2013 में राजमार्गो पर वाहन पार्क किए जाने के खिलाफ केंद्र सराकर को अर्जी दी थी।


खंडपीठ ने कहा कि केंद्र सरकार ने लगभग साल भर पहले इस अर्जी पर अपना बयान दर्ज करने के लिए दो महीने का समय मांगा था, लेकिन एक साल बाद भी वहीं हाल है।
अटार्नी जनरल मुकुल रोहतागी ने बीच में हस्तक्षेप करते हुए अदालत को आश्वस्त किया कि इस पर सरकार एक सप्ताह के भीतर बयान देगी।
रोहतगी अन्य मामलों के संदर्भ में अदालत कक्ष में मौजूद थे।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह के बाद निर्धारित की है।