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Ranchi, 10 November: झारखंड के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव की जमानत पर एक ही आदेश में जमानत खारिज और जमानत मंजूर होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश आने के दो महीने पहले ही झारखंड हाई कोर्ट ने जांच कर तीन पदाधिकारियों को निलंबित कर दिया था. जांच में इसे लिपिकीय भूल माना गया. इस मामले में हाईकोर्ट के द्वारा प्रशाखा पदाधिकारी व तीन कलर्क को निलंबित किया जा चुका है.
बता दें कि निलंबित किए गए लोगों ने लिखित रूप में अपनी गलती स्वीकार कर ली थी. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने आठ नवंबर को इसी मामले में हाई कोर्ट से जांच कर रिपोर्ट मांगी थी.


जांच के बाद दोषियों को किया गया निलंबित




12 अगस्त को हाई कोर्ट ने योगेंद्र साव और विधायक निर्मला देवी की जमानत पर अपना फैसला सुनाया था. ऑर्डर की कॉपी मिलने के बाद योगेंद्र साव की ओर से इस गलती के बारे में हाई कोर्ट को जानकारी दी गई थी. उसी समय हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले की जांच का आदेश रजिस्ट्रार जनरल को दिया था. जांच रिपोर्ट आने के बाद सभी दोषियों को निलंबित कर दिया गया.
कई बार हो जाती है इस तरह की मामूली गलती
उधर, हाई कोर्ट में योगेंद्र साव के इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने की आलोचना की जा रही है. कई वरीय अधिवक्ताओं ने कहा है कि कोर्ट के आदेश में कई बार मामूली गलती हो जाती है. इन गलतियों को दूर कराया जाता है. यह सामान्य प्रक्रिया है.
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