|| अदिति चंद्रा || नई दिल्ली: फिल्मकार निखिल आडवाणी कहते हैं कि भारतीय सिनेमा के लिए यह बेहद रोमांचक समय है। भारतीय सिनेमा ने अपने 100 साल पूरे कर लिए हैं और फिल्मकार फिल्मों में रचनाात्मक प्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने फिल्मों की सफलता के लिए दर्शकों का भी शुक्रिया अदा किया।पहले फिल्मकार नए प्रयोग करने से हिचकते थे क्योंकि उन्हें दर्शकों की पसंद-नापसंद का भय रहता था। लेकिन आज दर्शक नए विषयों को भी स्वीकार रहे हैं। रचनात्मक फिल्मकारों के लिए प्रयोग का यह बेहतर समय है।
आडवाणी ने अपने करियर की शुरुआत 1996 में निर्देशक सुधीर मिश्रा की फिल्म 'इस रात की सुबह नहीं' में सहायक निर्देशक के तौर पर की थी। उन्होंने कहा, "मैं अब भी वहीं हूं, जहां पहले था। सिनेमा जगत के लिए यह रोमांचक समय है।" उन्होंने कहा, "मैं 20 सालों से इस क्षेत्र में काम कर रहा हूं और 20 सालों से मैं लगातार यही सोचता रहा हूं कि एक दिन ऐसा आएगा जब दर्शक यह समझेंगे कि फिल्मकार कैसी फिल्में बनाना पसंद करते हैं और सिनेमा में बदलाव आएगा। लेकिन हम यह भूल गए थे कि दर्शकों ने हमेशा ही अलग और उम्दा फिल्मों को स्वीकार किया है। कम से कम पिछले ढाई सालों से यही साबित हो रहा है।"
उन्होंने कहा, "सफल फिल्मों ने यह साबित किया है कि जब भी दर्शकों के सामने अलग और लीक से हटकर उम्दा फिल्म होगी, वे खुले दिल से उसे स्वीकार करेंगे।" गत सालों में 'कहानी', 'पीपली लाइव' और 'विक्की डोनर' जैसी लीक से हटकर बनी फिल्मों की बॉक्सऑफिस पर सफलता ने यह साबित किया है कि दर्शक सिनेमा में बदलाव को स्वीकार करने लगे हैं। आडवाणी ने कहा, "मुझे खुशी है कि अब फिल्म निर्माता और निर्माण कंपनियां उन निर्देशकों से संपर्क और अनुबंध कर रही हैं, जिनकी तरफ पहले देखने से भी परहेज किया जाता था।"

