
New Delhi : एक तरफ महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है. सरकार के द्वारा नौकरियों से लगाकर जनता द्वारा चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों के पदों में महिला आरक्षण की व्यवस्था की गई है. लेकिन कहीं ना कहीं यह व्यवस्था नाकाम होती भी नजर आ रही है. क्योंकि सरकार ने आज गुरुवार को खुद कहा है कि पंचायत में महिला जनप्रतिनिधियों के कामकाज में उनके पतियों के अनावश्यक हस्तक्षेप के बारे में उसके पास आमतौर पर शिकायतें आती हैं और इस संदर्भ में उसकी ओर से कदम उठाए जाते हैं.
Slide content
Slide content
लोकसभा में भैरो प्रसाद मिश्रा के प्रश्न के लिखित उत्तर में पंचायती राज राज्य मंत्री पुरषोत्तम रुपाला ने कहा कि पंचायत राज्य का विषय है. और ऐसे में महिला जन प्रतिनिधियों के कामकाज में उनके पतियों के अनावश्यक हस्तक्षेप से संबंधित शिकायतें आमतौर पर राज्यों को भेजी जाती है. हालांकि कुछ ऐसी ही शिकायतें पंचायती राज मंत्रालय को भी प्राप्त हुई हैं. उन्होंने कहा कि आम तौर पर ये शिकायतें आती हैं कि महिला जन प्रतिनिधियों के पति उनके अधिकारों का उपयोग करते हैं. जब कभी पंचायती राज मंत्रालय को इस तरह की शिकायतें मिलती हैं तो इन्हें संबंधित राज्य सरकारों के पास भेज दिया जाता है, ताकि इनका निवारण हो सके. इसके साथ ही मंत्रालय ने राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को इस संदर्भ में परामर्श जारी किया है.
न्यूज विंग एंड्रॉएड ऐप डाउनलोड करने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पेज लाइक कर फॉलो भी कर सकते हैं.