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New Delhi, 17 October: नीति आयोग सूक्ष्म सिंचाई क्षेत्र में सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) को बढ़ावा देने के लिये कंपनी तथा सहकारी संस्थान को मिलाकर किसान उत्पादक कंपनी बनाने का सुझाव दिया है.
सरकारी सब्सिडी को एकीकृत करने पर दिया जोर
‘भारत में एकीकृत सूक्ष्म सिंचाई में सार्वजनिक निजी भागीदारी’ शीर्षक से जारी मसौदा रिपोर्ट में कहा गया है कि नीति आयोग ने निजी भागीदारी को सुगम बनाने और कृषि के स्तर पर विभिन्न सरकारी सब्सिडी को एकीकृत करने पर जोर दिया है.
किसान उत्पादक कंपनी बनाएंगे और उसके सदस्य बनेंगे
इसमें कहा गया है कि इसका मकसद भागीदारी वाली खेती को बढ़ावा देना और सिंचाई के अधिक कुशल साधनों के जरिये किसानों की आय को बढ़ाना है. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘जिनके पास भी जमीन है, वे सभी प्राथमिक लाभार्थी किसान एकीकृत सूक्ष्म सिंचाई नेटवर्क के क्रियान्वयन के लिये अपनी जमीन मिलाएंगे (पूलिंग) और किसान उत्पादक कंपनी बनाएंगे और उसके सदस्य बनेंगे.’’ आयोग ने मसौदा रिपोर्ट पर 30 सितंबर 2017 तक टिप्पणी आमंत्रित की है.
रसायाल उपयोग क्षमता बढ़ाता है उर्वरक
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘वैश्विक स्तर पर यह स्थापित है कि सूक्ष्म सिंचाई प्रौद्योगिकी फसल उत्पादन बढ़ाता है, जल की बचत करता है, फसल की गुणवत्ता में सुधार लाता है, उर्वरक : रसायाल उपयोग क्षमता बढ़ाता है, ऊर्जा का संरक्षण करता है, श्रम की लागत में कमी लाता है, कीटों के प्रबंधन में सुधार, कठिन क्षेत्रों में सिंचाई की व्यवहार्यता में वृद्धि आदि में सुधार करता है.’’ इसमें कहा गया है कि देश में 16 करोड़ हैक्टेयर खेती योग्य जमीन में से फिलहाल केवल 6.5 करोड़ हैक्टेयर (41 प्रतिशत, 2011-12 के अनुसार) सिंचित है. उसमें से देश में सूक्ष्म सिंचाई के अंतर्गत केवल 86 लाख हैक्टेयर जमीन आते हैं जबकि क्षमता 6.95 करोड़ हैक्टेयर है.