रांची: नक्सलवादियों पर आदिवासी युवतियों के देह शोषण के गंभीर आरोप लग रहे हैं. पुलिस के सामने हथियार डालने वाली एक नक्सली युवती सुनीता (18 वर्ष) ने कहा है कि संगठन में उसका यौन शोषण किया गया। वह दो साल तक संगठन में थी। इस दौरान नक्सलियों ने उसका यौन शोषण किया। वे उसे जंगलों में घुमाते, वजनी सामान-हथियार ढुलवाते थे। मना करने पर मारपीट भी की जाती थी।
सुनीता और त्रिलोचन सिंह मुंडा नाम दो कथित नक्सलियों ने शुक्रवार को रांची के सीनियर एसपी प्रवीण कुमार के सामने आत्मसमर्पण किया। आत्मसमर्पण कराने में उनके परिवारवालों का महत्वपूर्ण भूमिका बतायी गयी है। सीनियर एसपी ने घोषणा की कि दोनों को सरेंडर पालिसी के तहत सारी सुविधाएं दी जाएंगी।


नक्सलियों द्वारा देह शोषण: कहीं पुलिस का नुस्खा तो नहीं इसमें संदेह नहीं कि नक्सली संगठन में महिला काडरों के यौन शोषण के आरोप लगातार लगते रहे हैं। पिछले अगस्त में भी आत्मसमर्पण करने वाली 6 महिला नक्सलियों ने ऐसे आरोप लगाए थे। छनकर यह भी खबरें आती रही हैं कि कई महिला नक्सलियों ने अपने खिलाफ होने वाले जुल्म से तंग आकर नक्सलियों का साथ भी छोड़ दिया है।




बंगाल-झारखंड की सीमा पर घने जंगलों में नक्सलियों की कमांडर शोभा मंडी ने पश्चिमी मिदनापुर की पुलिस के सामने गत अगस्त में हथियार डाल दिए। चार महीने तक भूमिगत होने के बाद मीडिया के सामने आई शोभा ने आरोप लगाया कि उसके साथियों ने ही उसके साथ बलात्कार किया और मुंह खोलने पर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहने की धमकी दी। झारग्राम की एरिया कमांडर 23 साल की शोभा 25-30 हथियारबंद माओवादियों की अगुवाई करती थी।
उपरोक्त उदाहरण नक्सलवाद के गिरते चरित्र को इंगित कर रहे हैं। अगर यह महज पुलिस का दुष्प्रचार नहीं तो नक्सली नेताओं को ऐसे मामलों में गंभीरता बरतनी चाहिए, वरना, झारखंड की सुदूर आबादी भडक गयी तो पुलिस-शासन से पहले ही नक्सलियों को यहां से भागना पडेगा। क्यों कि आदिवासी समाज भोला जरूर है, पर अस्मिता के मोर्चे पर आरपार की लडाई लडने को तत्पर रहता है।