
Mumbai: कामकाजी भारतीय युवाओं में से अधिकांश का मानना है कि पिछले तीन साल में दुनिया अधिक विभाजित हुई है. उनके अनुसार धार्मिक असहमतियां और राष्ट्रवादी राजनीति सबसे बड़ा खतरा बनकर उभरे हैं. एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी है.
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भुगतान संबंधी सेवाएं देने वाली कंपनी वेस्टर्न यूनियन के सर्वे की माने तो करीब 69 प्रतिशत कामकाजी युवाओं ने कहा कि दुनिया 2015 की तुलना में अधिक विभाजित हुई है. हर 10 युवाओं में से पांच से अधिक ने माना कि 2030 तक यह विभाजन अधिक गहरा हो जाएगा.


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1980 से 1990 के दशक के बीच पैदा हुए युवाओं का मानना है कि वैश्विक नागरिकता तथा सीमाविहीन विश्व के समक्ष धार्मिक असहमतियां तथा राष्ट्रवादी राजनीति सबसे बड़ा खतरा बनकर उभरे हैं. इनके बाद खतरों में शरणार्थियों का भय तथा नस्लभेद है.
सर्वे 15 देशों के 19 से 36 की उम्र वाले 10 हजार से अधिक युवाओं से प्राप्त इनपुट्स पर आधारित है. इसमें भारत के भी 844 युवा शामिल थे. वेस्टर्न यूनियन के दक्षिण एशिया और भारत-चीन क्षेत्र की उपाध्यक्ष सोहिनी राजोला ने कहा कि सकारात्मक बात ये है कि वैश्विकरण की ताकत को भारतीय युवा समझता है और बेहतर भविष्य के लिए उसका भरोसा आपसी तालमेल और सहयोग में है.
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