
Manila : फिलीपींस की राजधानी मनीला से सेक्स वर्कर्स यानी कंफर्ट वीमन के सम्मान में लगी प्रतिमा हटा दिये जाने का फिलीपींस में भारी विरेाध हो रहा है. बता दें कि इस प्रतिमा का दिसंबर 2017 में उद्घाटन किया गया था. मानवाधिकार कार्यकर्ता प्रतिमा हटाये जाने के पीछे जापान का हाथ बता रहे हैं. उधर मनीला प्रशासन का तर्क है कि जल निकासी की व्यवस्था ठीक करने के लिए प्रतिमा हटायी गयी है. बाद में प्रतिमा दोबारा लगा दी जायेगी. लेकिन इसे कब वापस लगाया जा सकता है, इस पर प्रशासन खामोश है. प्रशासन के इसी रुख के चलते मानवाधिकार कार्यकर्ता गु्स्से में हैं. कार्यकर्ताओं का कहना है कि जापान सरकार ने फिलीपींस पर प्रतिमा को हटाने का दबाव डाला होगा. जान लें कि द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान के सैनिकों की शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए सेक्स वर्कर्स को रखा जाता था. इस पेशे में फंसी ये महिलाएं कंफर्ट वीमन कहलाती थीं. उन्हीं सेक्स वर्कर्स के सम्मान में मनीला में एक प्रतिमा लगाई गयी थी.
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द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान का फिलीपींस पर कब्जा था


जापान की समाचार एजेंसी के अनुसार मनीला स्थित जापानी दूतावास ने पुष्टि की है कि प्रतिमा हटाने की अपनी योजना को लेकर फिलीपींस सरकार ने दूतावास को सूचित किया था. जापान फिलीपींस को काफी सहायता और आर्थिक मदद दे रहा है. इसी कारण फिलीपींस सरकार के इस कदम पर मानवाधिकार कार्यकर्ता संदेह जता रहे हैं. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान का फिलीपींस पर कब्जा था. मनीला की डी ला साले यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर माइकल चार्ल्सटन शिआओ चुआ ने प्रतिमा को राष्ट्रीय गरिमा का प्रतीक बताते हुए जनता से आग्रह किया है कि वे प्रतिमा वापस स्थापित करने की लड़ाई में हिस्सा लें.




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दो लाख महिलाएं जापान के सैनिकों के लिए सेक्स वर्कर्स का काम कर रहीं थीं
यह प्रतिमा उन सेक्स वर्कर्स की याद में लगाई गयी थी जिन्हें साल 1942-1945 के बीच जबरन कंफर्ट वीमन बनाकर रखा गया. इसे चीनी-फिलिपीनो समूह के साथ-साथ निजी व्यक्तियों के दान से तैयार किया गया था. इतिहासकारों के अनुसार एशियाई मुल्कों की करीब दो लाख महिलाएं उस वक्त जापान के सैनिकों के लिए सेक्स वर्कर्स का काम कर रहीं थीं. इनमें में अधिकतर कोरियाई थीं. हालांकि जापान का राष्ट्रवादी खेमा इन कंफर्ट वीमन को सेक्स स्लेव या यौन गुलाम नहीं मानता. उनके अनुसार इन महिलाओं ने अपनी मर्जी से यह काम चुना था. इस खेमे का कहना है कि जापान को बेवजह बदनाम किया जाता है, क्योंकि युद्ध के दौरान यह अकसर होता है. हालांकि साल 1995 में एक निजी फंड से जापान ने फिलीपींस, दक्षिण कोरिया और ताइवान की ऐसी करीब 280 महिलाओं को 20 लाख येन (18 हजार अमेरिकी डॉलर) की राशि दी थी. लेकिन कई पीड़िता चाहती हैं कि जापान सरकार उनसे पूरी माफी मांगे और आधिकारिक सरकारी मुआवजा प्रदान करे.
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