शारिफ़ इब्राहीम
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रांची 29 जुलाई:
बिहार में सत्ता गयी, जाँच एजेंसी सीबीआई, आईटी और प्रवर्तन निदेशालय का बढ़ता दबाव, ये तमाम वजह बेशक राजद सुप्रीमो लालू यादव की मुसीबते बढ़ा रही हैं, मगर झारखंड की राजनीति में वो विपक्षी दलों के धुर्वीकरण का केन्द्र बिंदु लालू ही बने हुए है. लालू यादव चारा घोटाला मामले में एक तरफ कोर्ट में हाजरी लगा रहे है वही दूसरी तरफ उनका जोर एक नए सिरे से महागठबंध को मजबूत करने पर है.
लालू यादव हमेशा से राजनीति के केन्द्र में रहे है, फिर वो बात चाहे UPA सरकार के ज़माने की हो या NDA काल की. कभी सत्ता में रहते हुये सबकी जुबां पर तो कभी विपक्षी दलों की भीड़ में. वर्तमान राजनीति में लालू यादव की परेशानी समय के साथ बढ़ रही है, फिर भी वो दबाव की राजनीति से दूर झारखंड में महागठबंधन को मजबूत करने में जुटे है.
झारखंड में विपक्षी दलों की एकजुटता आसान नहीं. जेएमएम-जेवीएम से लेकर कांग्रेस तक में सीएम की कुर्सी को लेकर छीना झपटी है. ऐसे में लालू यादव विपक्षी बिखराव को समेटते हुये मार्गदर्शक की भूमिका में है और हेमंत सोरेन जैसे नेता को इस बात को कबूल करने से पीछे नहीं हट रहे.
देश के दूसरे राज्यों की तरह ही झारखंड में भी विपक्षी दलों की एक जुटता पर बीजेपी की नजर है. बीजेपी लालू यादव की भूमिका पर निशाने साधते हुये विपक्षी दलों की गणेश परिक्रमा पर सवाल उठाती रही है.
नीतीश की बेवफ़ाई के बाद देश की राजनीति में केन्द्र सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों की एक जुटता में लालू यादव सूत्रधार की भूमिका में है. लालू यादव मुकदमो से दूर NDA के खिलाफ मोर्चा बंदी में लगे है और इससे झारखंड भी अछुता नहीं.