
Md. Asghar Khan
Ranchi : ऐसे तो हर बार की तरह इस बार भी रांची का मोराहाबादी मैदान राष्ट्रीय खादी एवं सरस मेले को लेकर 22 दिसंबर 2017 से ही सज गया था. नये साल के समापन पर भीड़ भी पहले की तुलना में काफी अधिक दिखी. झारखंड खाद्दी ग्राम उद्धोग बोर्ड की ओर से आयोजित 17 दिवसीय इस मेले में एक ही छत के नीचे 22 राज्यों से लगभग हजार स्टॉल लगाये गये. राज्यों की संस्कृति और देश विविधता की भी झलक मेले में देखी गयी. लेकिन कई चीजों की चर्चा इस बार के मेले में नई थी, जो आकर्षण का केंद्र बना.


देश का सबसे बड़ा चरखा और बापू की स्वर्ण प्रतीमा




खाद्दी मेला मे इंट्री करते ही ठीक सामने लगी महात्मा गांधी की गोल्डन प्रतीमा पर लोगों की पहली नजर जब पड़ती थी तो उसपर से हटती नहीं थी. प्रतीमा के बगल में ढ़रो झारखंडी संस्कृति को दर्शाती हुयी महिलाओं की लगी मुर्ती और देश के सबसे बड़े चरखे ने इस मेले का खास बनाया. 35 फीट चौड़े और 25 फीट ऊंचे इस चरखे के साथ सेल्फी लेने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी रहती थी. वहीं से चार कदम की दूरी पर थी भारत माता की प्रतीमा, जो इस बार के मेले में आयोजकों की नयी पहल थी. झारखंड खादी ग्राम उद्धोग बोर्ड के अध्यक्ष संजय सेठ ने न्यूजविंग से बातचीत में बताया कि कई चीजें इस बार मेले में नयी थी. देश का सबसे बड़ा चरखा और बापू की स्वर्ण प्रतीमा मेले को अलग बनाने के लिए की गयी पहल थी, जो सफल रही. साथ ही इस बार मेले में भगवान बिरसा मुंडा का एक सभागार बनाया गया था, जिसमें झारखंडी संस्कृति को संजोया गया था. साथ ही उन्होंने कहा कि हर बार बोर्ड की ओर से ऐसी ही कोशिश रहेगी ताकि मेले को आकर्षित बनाया जा सके.
झारखंड के 600 स्टॉल, दूसरे राज्यों में गुजरात सबसे आगे
झारखंड के अधिकतर जिलों के कोई ना कोई स्टॉल मेले में दिख ही जाते थे. सबसे अधिक झारखंड खादी के स्टॉल लगे हुए थे, जहां कई बेहतरीन सुट, साड़ी, बंडी, शर्ट, शॉल और बैग थे. रांची के फैशन डिजाइनर अशीष सत्यवृत साहू कहते हैं कि इस बार खाद्दी के अलग-अलग डिजाइन के कपड़ों का भरमार था. अशीष के खुद के डिजाइन किए हुए कपड़ों को भी ग्रहाकों ने पंसंद किया. खादी स्टॉल पर 140 रुपये प्रति मीटर कपड़े से लेकर 300 सौ रुपये तक खादी के अच्छे शर्ट थे. संजय सेठ बताते हैं कि मेले में लगभग 600 स्टॉल झारखंड के थे, जो इस बार किसी भी अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे अधिक रही. इसके अलावा दूसरे राज्य में गुजरात के 60 स्टॉल रहे. 22 राज्यों के स्टॉल में उत्तर प्रदेश, जम्मू कशमीर, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बंगाल, उड़ीसा, बिहार, दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के कुछ राज्य शामिल थे.
क्या था झारखंड से इस बार
मेले में धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के राज्य झारखंड के कई स्टॉल लगे थे, जिसपर लोगों की भारी भीड़ उमड़ी. खादी कपड़ों के अलावा राज्य के पारंपारिक खान-पान में मड़ुवे का पीट्ठा, झारखंडी बर्रा, ढुसका, गुलगुल्ला आदि स्वादिष्ट पकवान ने लोगों को खुब लुभाया. जबकि पाकुड़, साहेबगंज, लोहदग्गा जिल के बम्बु क्राफ्ट आर्कषण का केंद्र बने रहे. बांस के बने छोटे-छोट खंचिए और डलिये ने झारखंडी करिगरों की मेहनत को दर्शाया. मेले में पर्यटन को बढ़वा देने के लिए राज्य के सभी वाटर फॉल की बड़ी-बड़ी होर्डिंग थी, जिसमें जोन्हा, दसम, हिरणी, हुंडरु, मोती झारना आदि शामिल थे. पेंटिंग एग्जीबिशन में राज्य के हर जिलों के अर्टिस्ट की 155 पेंटिंग्स लोगों को अपनी ओर खींचती रही. इसके कोर्डिनेटर रंजीत कुमार ने बताया कि एग्जीबेशन में एक जनवरी को लगभग एक लाख लोग पहुंचे थें. पेंटिंग्स लोगों को काफी पंसद आयी. वहीं मेले में सभी दिन झारखंड फिल्म एंड थियेटर की ओर से आयोजित नुक्कड़ नाटक और कल्चरल प्रोग्राम ने लोगों को खूब इंटरटेन किया.
इस मेले से हुआ राज्यों की छवि का निर्माण
झारखंड खादी ग्राम उद्दोग बोर्ड के अध्यक्ष संजय सेठ ने कहा कि इस मेले से देश के विभिन्न राज्यों ने अपनी छवि को मजबूत किया है. इससे राज्यों की विविधताओं का प्रचार-प्रसार भी हुआ. वहीं समाजिक कार्यकर्ता हुसैन कच्छी कहते हैं कि मेले की खासियत सहारनपुर के फर्नीचर, गुजरात और महाराष्ट्र के कपड़े, यूपी के भदोई की कालीन, कशमीर के गर्म कपड़े हर बार की तरह दिखे. वहीं मेले में बुर्जुगों के लिए ई-रिक्शा की व्यवस्था एक नेक पहल थी.