
Ranchi : आज आदिवासी समुदाय का सबसे बड़ा प्रकृति पर्व सरहुल मनाया जा रहा है. सरहुल की धूम पूरे प्रदेश में देखी जा रही है. झारखंड के जनजातीय समुदाय के नूतन वर्ष के आगमन से हर कोई हर्षोल्लासित और प्रफुल्लित हैं. राजधानी रांची सहित राज्यभर में जगह-जगह सरना स्थलों को सजाया गया है. श्रद्धालु साल के वृक्ष की पूजा कर रहे हैं. यह उत्सव चैत्र महीने के तीसरे दिन चैत्र शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है. यह पर्व नये साल की शुरुआत का भी प्रतीक माना जाता है. सरहुल को लेकर राजधानी के विभिन्न सरना स्थलों से सरहुल का जुलूस निकाला गया. मुख्य जुलूस हातमा स्थित सरना स्थल से निकाला गया. सभी जुलूस मुख्य मार्ग से होते हुये अल्बर्ट एक्का चौक पहुंचा, मेन रोड होते हुये सिरमटोली स्थित सरना स्थल पहुंचा. जुलूस में मांदर की थाप पर आदिवासी समुदाय के लोग थिरकते नजर आये. जगह-जगह जुलूस का स्वागत किया गया.
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इस बार होगी अच्छी बारिश
प्रकृति पर्व सरहुल की खुशियां राज्यवासियों के लिए आज तब दुगुनी हो गई जब कल हुए जलभराई रस्म के बाद आज सिरमटोली सरना समिति के प्रकाश हंश ने बताया कि सरना स्थल पर धार्मिक गुरु पाहन ने घड़े में पानी की स्थिति देख इस वर्ष अच्छे मॉनसून की घोषणा की. राजधानी के मुख्य सरना स्थल हातमा पूजा समिति के पाहन ने कहा कि इस वर्ष भी राज्य में सामान्य बारिश होगी और किसानों को इसका लाभ मिलेगा.
जनजातीय भाषा परिसर में सरहुल धूमधाम से मनाया गया
सरहुल को लेकर मोरहाबादी स्थित क्षेत्रीय जनजातीय भाषा परिसर में इस पर्व को धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. सभी जनजातीय समुदाय के लोग इस पर्व में शामिल हुए. इस खास मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. इस मौके पर सरहुल का अंक साहित्यिक सरगम नामक पुस्तक का विमोचन किया गया. इस मौके पर भाजपा विधायक गंगोत्री कुजूर भी शामिल हुईं. इस दौरान सभी जनजातीय समूह के लोगों द्वारा क्षेत्रीय गीतों पर एक से बढ़कर एक प्रस्तूति दी गई.
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