Uncategorized

चार लाख का केक, 19 लाख का फूल और 2.5 करोड़ का टेंट : झारखंड की बेदाग सरकार पर अब “स्थापना दिवस घोटाले” का दाग

–  पसंदीदा लोगों को काम देने के लिए स्थापना दिवस ही भूल जाती है सरकार

–  बिना टेंंडर किये दे दिया पसंदीदा लोगों को काम

–  वित्त विभाग की आपत्ति को छिपाकर  ली गयी कैबिनेट से मंजूरी

Akshay Kumar Jha

Ranchi: झारखंड में रहने वाले हर आमो-खास को पता है कि नवंबर महीने के 15 तारीख को बिहार से अलग होकर झारखंड अलग राज्य बना. झारखंड के स्थापना दिवस की खुशी मनाने के लिए सरकार की तरफ से हर साल एक नवंबर से ही आयोजनों का दौर शुरू हो जाता है. आयोजन को लेकर पैसा पानी की तरह बहाया जाता है.  यह पैसा पब्लिक मनी है, जो टैक्स के जरिए हम और आप सरकारी खजाने में जमा करते हैं. झारखंड स्थापना दिवस कोई आपदा नहीं है, जो अचानक से आ जाता हो, सभी जानते हैं कि इसे हर साल मनाया जायेगा. लिहाजा सरकार को भी इस बात की पूरी जानकारी होती है कि नवंबर महीने में हर साल स्थापना दिवस मनाना है.

स्थापना दिवस के समारोह में अपने चहेते लोगों को आयोजन का काम देने के लिए सरकार ने साल 2017 में  बिना टेंडर के ही कई काम प्राइवेट एजेंसियों को दे दिया. इन एजेंसियों ने स्थापना दिवस के नाम पर खूब पैसे बनाये. सरकार ने मनोनयन के आधार पर काम बिना टेंडर के करवाया और बहाना बनाया कि कम समय होने की वजह से काम बिना टेंडर के कराया गया.

इसे भी पढ़ें – अरुण शौरी ने चेताया, नरेंद्र मोदी का सत्ता पर कमजोर हो रहा नियंत्रण-शाह का मजबूत, देश को बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी

25 दिन पहले आयी याद मनाना है स्थापना दिवस, खर्च करीब 11 करोड़

ुमपरल

हर साल 15 नवंबर को झारखंड का  स्थापना दिवस मनाया जाता है. लेकिन  सरकार का पूरा तंत्र इस बात को भूल जाता है. स्थापना दिवस के सिर्फ 25 दिन पहले अधिकारियों और सीएमओ कार्यालय को याद आता है कि झारखंड में स्थापना दिवस भी मनाया जाता है. पांच अक्टूबर को सीएम रघुवर दास की अध्यक्षता में सरकार स्थापना दिवस को लेकर बैठक करती है. बैठक में निर्णय लिया जाता है कि हर साल की तरह इस साल भी स्थापना दिवस मनाया जाएगा. अब भला 25 दिनों में टेंडर प्रक्रिया कैसे पूरी होती. इसलिए सरकार ने समय के अभाव को देखते हुए मनोनयन के आधारा पर, बिना दूसरे किसी कंपनी से कम्पेयर किये  निजी कंपनियों को स्थापना दिवस कार्यक्रमों के आयोजन का काम सौंप दिया. बैठक में स्थापना दिवस को लेकर बजट पर किसी तरह की कोई चर्चा नहीं की गयी. किसी तरह का इस्टिमेट नहीं बनाया गया. जिसका फायदा बिना टेंडर के काम करने वाली कंपनियों ने खूब उठाया.

इसे भी पढ़ें – राज्यसभा चुनाव की जीत के बाद यूपीए बना रहा है रणनीति, झारखंड लोकसभा में गठबंधन कर बीजेपी को घेरने की तैयारी

 

ंिुवलिुवल

चार लाख का केक, 19 लाख का फूल और 2.5 करोड़ का टेंट

15 नवंबर को मोरहाबादी मैदान सहित राज्य में कई जगहों पर जो स्थापना दिवस समारोह मनाया गया. समारोह पर हुए खर्च आपको चौंका देंगे. सरकार ने जिन कंपनियों को मनोनयन के आधार पर काम दिया, उन्होंने मनमर्जी तरीके से बिल बनाया. क्योंकि उन्हें पहले से कोई दिशा-निर्देश नहीं दिया गया था कि खर्च कितना करना है. खर्च की सीमा तब तय होती जब सरकार स्थापना दिवस की तैयारियों के लिए इस्टिमेट बनाती और टेंडर करती. लेकिन सरकार की तरफ से कोई टेंडर किया ही नहीं गया. समारोह के आयोजन पर हुए खर्च में मनमानी की बात फ्लैक्स और बैनर का बिल देख कर ही अंदाजा लगाया जा सकता है. Cakes N Bakes, Gopal Complex, Ranchi ने केक का बिल 3,92,462 रुपए का दिया. सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए नीरव ठक्कर ने 38,94,000 का बिल दिया, अजमानी इंफ्रास्ट्रक्चर एंड प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड ने टेंट संबंधी कामों के लिए 2,43,21,169 रुपए का बिल दिया. प्रभात फेरी के दौरान टी शर्ट के लिए जमशेदपुर की कंपनी प्रतीक फेबनिट ने 14,90,864 रुपए का बिल दिया. फूल के साज-सज्जा के लिए पुष्पांजलि फ्लावर डेकोरेटर ने 18,52,600 रुपए का बिल दिया. चॉकलेट के लिए मां लक्ष्मी भंडार, जमशेदपुर के एक दुकानदार ने 3,89,400 रुपए का बिल दिया. मुख्य समारोह में फ्लैक्स और बैनर के लिए मार्क एडी ने 55,73,873 रुपए का बिल दिया.             

कल पढ़िए : कैसे वित्त विभाग की टिप्पणी को दरकिनार कर पसंदीदा लोगों को सरकार कर रही है भुगतान

इसे भी पढ़ें – झारखंड सरकारी कर्मियों की बल्ले-बल्ले, निर्वाचन आयोग ने दी सातवें वेतनमान के लिए हरी झंडी, बढ़कर मिलेंगे कई भत्ते

 न्यूज विंग एंड्रॉएड ऐप डाउनलोड करने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पेज लाइक कर फॉलो भी कर सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Back to top button