
Ranchi : चारा घोटाला मामले में बिहार के मुख्य सचिव और दुमका के तत्कालीन उपायुक्त अंजनी कुमार सिंह समेत सात लोगों को कोर्ट ने आरोपी ठहराया है. साथ ही उन्हें नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने सभी आरोपियों को 28 मार्च को उपस्थित होने का आदेश दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि ये सभी लोग घोटाले में शामिल थे, और सीबीआई ने इनलोगों को बचाने का काम किया है. गौरतलब है कि सीबीआई के विशेष जज शिवपास सिंह की कोर्ट ने सभी को सीआरपीसी की धारा 319 के तहत आरोपी बनाया है.
इसे भी पढ़ें- घटते जलस्तर पर पर्यावरणविदों की चेतावनी : रांची का भी हाल न हो जाये केपटाउन जैसा, जहां सिर्फ 45 दिनों का बचा है पानी
इसे भी पढ़ें- बीजेपी के मंत्री को निशाने पर लेने के बाद सोशल मीडिया पर घेरे जा रहे हैं सांसद निशिकांत दुबे


क्या है सीआरपीसी की धारा 319




वकीलों के अनुसार सीआरपीसी की धारा 319 के तहत कोर्ट को यह अधिकार है कि अगर किसी मामले की सुनवाई के दौरान केस में बनाये गये अभियुक्त के अलावे किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ सबूत आता है तो उसे सीआरपीसी की धारा 319 के तहत मामले में आरोपी बनाया जाता है. साथ ही उसे कोर्ट में हाजिर होने के लिये नोटिस भी जारी किया जा सकता है.
इसे भी पढ़ें- बौद्ध और मुस्लिम समाज के बीच सांप्रदायिक तनाव व मस्जिदों पर हमले के बाद श्रीलंका में 10 दिन के लिए आपातकाल
कौन-कौन बनाये गये हैं आरोपी
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने अंजनी कुमार सहित तत्कालीन वित्त सचिव विजय शंकर दुबे, सीबीआई के गवाह और आपूर्तिकर्ता दीपेश चांडक, बिहार के पूर्व डीजीपी व निगरानी के तत्कालीन एडीजी डीपी ओझा, सीबीआई के तत्कालीन इंस्पेक्टर व अभी के एएसपी, अनुसंधान पदाधिकारी एके झा, सीबीआई के गवाह आपूर्तिकर्ता शिव कुमार पटवारी और फूल झा को आरोपी बनाया है. उल्लेखनीय है कि चारा घोटाला मामले में दोषी पाये जाने के बाद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव रांची के होटवार जेल में बंद है.
इसे भी पढ़ें- जानिये झारखंड की 10 मोस्ट वांटेड इनामी महिला नक्सलियों को
शंकर दुबे की भूमिका पर कोर्ट ने उठाया सवाल
चारा घोटाले के समय बिहार के तत्कालीन वित्त सचिव विजय शंकर दुबे पर जांच के वक्त की भूमिका पर कोर्ट ने सवाल उठाया है. कोर्ट ने इस मामले को लेकर कहा कि शंकर दुबे अगस्त 1995 में वित्त सचिव बने थे. जिसके बाद दुमका कोषागार से दिसंबर 1995 और जनवरी 1996 में ही अवैध निकासी की गयी थी. उस समय दुबे के संज्ञान में यह मामला था लेकिन उन्होंने इस पर चुप्पी बनाये रखा और घोटाले को रोकने की कोशिश नहीं की.
न्यूज विंग एंड्रॉएड ऐप डाउनलोड करने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पेज लाइक कर फॉलो भी कर सकते हैं.