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RANCHI, 22 NOVEMBER : सोहराई कला अब राज्य की राजधानी के तमाम सार्वजनिक स्थानों की दीवारों पर देखने को मिल रही है. दरअसल सोहराई कला एक आदिवासी कला है. इसका प्रचलन हजारीबाग जिले से कई वर्ष पूर्व शुरू हुआ था. झारखंडी संस्कृति में सोहराई कला का महत्व सदियों से रहा है. वहीं बदलते परिवेश में कथित आधुनिकता के नाम पर लोगों का दुर्भाग्यवश इस कला के प्रति उपेक्षाभाव इसके अस्तित्व पर संकट बनकर आ खड़ा हुआ है. लेकिन बदलते परिवेश के साथ आधुनिकता के दौर से गुजरते हुए सोहराई कला अब राज्य की राजधानी के तमाम सार्वजनिक स्थानों की दीवारों पर देखने को मिल रही है. रंग-बिरंगी कलाकृतियां दीवारों की खूबसूरती में चार चांद लगाने का काम कर रही है. दर्जनों की संख्या में महिला कलाकार हाथ में ब्रश थामे सोहराई कला को दीवार पर उकेरने का काम कर रही हैं.
दीवारों की खूबसूरती बढ़ाता है सोहराई पेंटिंग: स्नेहा


सोहराई पेंटिंग बनाने वाली कलाकार स्नेहा ने कहा कि रांची के लगभग सभी जगहों पर हमने कला का चित्रण किया है. शहर के सार्वजनिक स्थल जैसे सरकारी भवन,पार्क,सरकारी स्कूल की दीवारों पर सोहराई पेंटिंग बना रहे हैं. ताकि बाहर से आने वाले लोगों के साथ-साथ यहाँ के लोग भी पारंपरिक कला को जानें. उन्होंने कहा कि विडंबना यह है कि लोग दिवारों पर बने खूबसूरत कलाकृतियों को गंदा कर रहे है.




दीवारों को गंदा करने वाले लोगों को दंडित किया जाए:सुनीता
शहर की नागरिक सुनीता ने कहा कि सोहराई पेंटिंग से रांची की सुंदरता बढ़ी है. रांची साफ और स्वच्छ दिखे और इसमें लोगों की भागीदारी भी होनी चाहिए.लेकिन कुछ लोग दीवारों को गंदा कर रहे हैं. ऐसे लोगों को दंडित किया जाना चाहिए. सरकार के साथ आम नागरिकों का भी कर्तव्य है कि स्वच्छ्ता के प्रति सजग रहें.
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