
New Delhi : देश भर से आये दिन किसानों द्वारा आत्महत्या किये जाने की खबरें आती रहती हैं. वजह दो ही होते हैं- एक तो मौसम की मार के कारण फसलों की बर्बादी और दूसरा उपज की सही कीमत ना मिलना. इन दोनों स्थितियों में किसान लाचार और बेबस हो जाते हैं. उनके पास कोई चारा नहीं होता. यह तब और भी गंभीर हो जाता है जब किसानों ने खेती के लिए ऋण ले रखी हो. सरकार भी किसानों के साथ न्याय करने में सक्षम नहीं. तभी तो सरकार ने माना है कि किसानों का उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है. कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान समर्थन मूल्य से जुड़े एक सवाल के मौखिक जवाब में कहा ‘‘यह सही है कि किसानों को उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है. किसानों को उपज का उचित मूल्य मिले, इसके लिये देशव्यापी स्तर पर उपाय किये जा रहे हैं.’’ कांग्रेस सदस्य विप्लव ठाकुर द्वारा फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि के बावजूद किसानों को उपज की कीमत नहीं मिल पाने का सवाल उठाया गया. उन्होंने कहा कि सरकार ने कृषि लागत और मूल्य आयोग की सिफारिशों के आधार पर धान, ज्वार, बाजरा सहित 22 फसलों के साल 2017-18 के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य में लागत पर लाभ 50 प्रतिशत से अधिक रखा था.
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दिल्ली से कोलकाता तक किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा
उन्होंने कहा ‘‘इसके बावजूद मेरा अनुभव कहता है कि दिल्ली से कोलकाता तक समूचे इलाके में सौ किमी के दायरे में धान की खेती करने वाले किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है.’’ सिंह ने कहा कि सरकार राज्यों में फसलों की खरीद प्रक्रिया पर पूरी निगरानी रख रही है ताकि किसानों को उपज की निर्धारित कीमत मिल सके. सिंह ने कहा कि सरकार इस समस्या के स्थायी समाधान की दिशा में नीति आयोग और राज्यों के साथ विचार विमर्श कर रही है जिससे बेहतर व्यवस्था कायम की जा सके.
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राज्य सरकारों के प्रस्ताव पर विचार
कृषि मंत्री ने इस समस्या के समाधान के तौर पर गेंहू और धान से इतर अन्य फसलों की पैदावार करने वाले किसानों के लिये मूल्य समर्थन योजना को बेहतर विकल्प बताया. इसके तहत उपज की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम होने पर फसल की खरीद राज्य सरकार को करना चाहिये. इस बारे में राज्य सरकारों से जब भी प्रस्ताव आते हैं, केन्द्र सरकार इस योजना के तहत अतिरिक्त राशि जारी करती है. इस योजना में केन्द्र सरकार ने राज्यों से आठ लाख मीट्रिक टन दाल और कपास आदि की खरीद की है.
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