
Ranchi: झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कोडरमा और हजारीबाग जिले में अवैध खनन रोकने में पूरी तरह नाकाम है, जिससे वहां के चट्टानों की डकैती हो गई. यह बात एनजीटी (नेशनल ग्रीन टिब्यूनल) के आदेश पर बनी विशेषज्ञों की समिति ने अपनी रिपोर्ट में कही है. यह रिपोर्ट समिति ने एनजीटी को सौंप दी है.
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रिपोर्ट में कोरमा और हजारीबाग में अवैध उत्खनन की स्थिति गंभीर बताई गई है और कहा गया है कि उत्खनन और क्रशर चलाने में नियमों का पालन बिल्कुल नहीं किया गया है. कई खदान वन क्षेत्र में पड़ते हैं और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं. समिति ने अपनी रिपोर्ट में तत्काल रोक लगाने की अनुशंसा की है.


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समिति ने रिपोर्ट में सुझाव देते हुए कहा है कि टास्क फोर्स बना कर अवैध खनन कार्य रोके जायें. पहाड़ों को नष्ट करने पर पाबंदी लगे. खदान व क्रशर मालिकों प्रति टन-एक रुपये सीएसआर एक्टिविटी में दें. खदान व क्रशर इलाके के 33 प्रतिशत क्षेत्र में पौधारोपण हो. क्रशर और खदानों को वन क्षेत्र से दूर रखने के लिए निर्धारित नियमों का सख्ती से पालन हो. मजदूरों को कार्यस्थल पर आवासीय व चिकित्सा सुविधा मिले़ उनके स्वास्थ्य की नियमित जांच हो. कोडरमा और हजारीबाग में अवैध उत्खनन के मामले पर अधिवक्ता सत्यप्रकाश एनजीटी में कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं.
हजारीबाग और कोडरमा के इन खदानों की है चर्चा
समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि निरीक्षण के दौरान खदान मालिकों की ओर से मजदूरों के लिए किसी भी तरह की सुरक्षा व्यवस्था नहीं करने का मामला भी प्रकाश में आया है. समिति ने हजारीबाग की 14 और कोडरमा की आठ खदानों का निरीक्षण किया. जांच में पाया कि मालिकों ने पत्थर निकालने के लिए खदानों को जरूरत से ज्यादा गहरा कर दिया है. इन खदानों के पास डायरेक्टर जेनरल ऑफ माइंस सेफ्टी (डीजीएमएस) की ओर से तैयार किया गया माइनिंग प्लान नहीं था. डीप होल ब्लास्टिंग करने की बात भी सामने आयी. कुछ बंद खदान बहुत ही खतरनाक स्थिति में पायी गयी. इन खदानों को बंद करने की कोई योजना नहीं बनायी गयी है.
पायी कई गड़बडियां
रिपोर्ट में कहा गया है कि हजारीबाग से कोडरमा जाने के क्रम में समिति को सैकड़ों क्रशर खुले में चलते मिले. कई क्रशर वन क्षेत्र और सड़क किनारे भी पाये गये. इस क्षेत्र में अवैध खदान भी धड़ल्ले से चल रहा हैं. समिति ने खदानों के निरीक्षण के बाद राज्य में वैध या अवैध खनन के सहारे पहाड़ों को नष्ट करने पर पाबंदी लगाने की अनुशंसा की है. खनन क्षेत्रों में प्रदूषण स्तर को निर्धारित सीमा में रखने और मजदूरों के लिए कार्यस्थल पर आवासीय और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने की अनुशंसा की है. इसके अलावा खदान और क्रशर में काम करनेवाले मजदूरों के लिए सुरक्षित तरीके से सांस लेने को लेकर आवश्यक उपकरण की व्यवस्था करने और उनकी नियमित स्वास्थ्य जांच कराने की भी अनुशंसा की है और इसके लिए टास्क फोर्स बनाने को कहा है.
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