
New Delhi : दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि गणतंत्र दिवस परेड में लड़ाकू विमान की महिला पायलटों और बीएसएफ की महिला जवानों द्वारा करतब दिखाए जाने के बाद सेना को अपने विधि शाखा जेएजी में विवाहित महिलाओं की नियुक्ति में किस प्रकार की आपत्ति हो सकती है.
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जेएजी में महिलाओं को शामिल नहीं किया जाना ‘संस्थागत भेदभाव’

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने कहा कि भारतीय सेना को आपत्तियों के संदर्भ में हलफनामे के रूप में जवाब दाखिल करने की बजाय ‘कानूनी कदम’ उठाना चाहिए. अदालत ने कहा कि गणतंत्र दिवस पर महिलाओं (फाइटर पायलट और बीएसएफ की बाइकर्स) के करतब दिखाने के बाद आप (सेना) किस प्रकार इन आपत्तियों (जज एडवोकेट जनरल में विवाहित महिलाओं की नियुक्ति) पर कायम रह सकते हैं. इस मामले में अब 19 मार्च को आगे सुनवाई होगी. पीठ ने एक वकील की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की. उनका कहना था कि जेएजी में महिलाओं को शामिल नहीं किया जाना ‘संस्थागत भेदभाव’ है.


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