नागपुर : महाराष्ट्र में पिछले वर्ष ओलावृष्टि के कारण फसल का नुकसान झेलने वाले सात किसानों की लंबित सहायता राशि का भुगतान कर दिया गया है। इन किसानों ने जनवरी से सहायता राशि न मिल पाने के कारण आत्महत्या की इजाजत मांगी थी। यह जानकारी बुधवार को एक अधिकारी ने दी। अधिकारी का कहना है कि जिला प्रशासन के पास सातों किसानों के बैंक खाते की सही जानकारी नहीं थी, इस वजह से भुगतान नहीं किया जा सका था, लेकिन अब पूरे मामले का सौहार्दपूर्ण रूप से समाधान कर दिया गया है।

वर्धा के कलेक्टर आशुतोष साहिल ने आईएएनएस को बताया, “हमने राशि का भुगतान कर दिया है और यह सीधे उनके बैंक खाते में चला गया है।”

विदर्भ जन आंदोलन समिति के अध्यक्ष किशोर तिवारी ने कहा, “हम कलेक्टर की तरफ से उठाए गए त्वरित कदम का स्वागत करते हैं, जिसने परेशान सात किसानों की जिंदगी बचा ली। हमें उम्मीद है कि वह अन्य लंबित मामले को भी इसी गंभीरता के साथ लेंगे, जिससे और लोगों की जिंदगी बच पाएगी।”
वाडड गांव के सात किसानों में तीन महिलाएं हैं, जिन्होंने प्रशासन को आत्महत्या करने की इजाजत मांगने वाला पत्र भेजा था। उन्होंने पत्र में लिखा था कि उन्हें जनवरी से सहायता राशि नहीं मिल रही है।
इधर, जिला के अधिकारियों ने सिर्फ उनके आवेदन को स्वीकार किया, बल्कि इसकी प्राप्ति सूचना भी दी, जिसे कलेक्टर कार्यालय को भेजा गया।
किसानों के नाम किशोर इनगाले, भानूदास वडाकर, पंकज गावंडी, शंकर खडसे और महिला कुंदाबाई लोनकार, कामला वरहादे और वसंत जिंग्वाकर हैं।
कलेक्टर ने कहा कि नियमों के अनुसार किसानों को 9,000 से 13,000 रुपये का भुगतान किया गया है।
इधर, तिवारी ने कहा कि अमरावती मंडल में 300 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया गया है, किसानों की जान बचाने के लिए इसका भुगतान भी जल्द किया जाना चाहिए।
जुलाई में 27 किसानों ने आत्महत्या कर ली है और कार्यकर्ताओं को डर है कि सूखा का क्रम जारी रहा तो यह स्थिति आने वाले दिनों में और खराब हो सकती है।