
Saurav Shukla, Ranchi: राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स की बदहाली किसी से छिपी नहीं है. आये दिन कोई न कोई अव्यवस्था का मंजर यहां दिख जाता है. मरीजों के भेदभाव की बात भी नयी नहीं हैं. आम लोग तो रिम्स की अव्यवस्था का शिकार होते ही रहते हैं, लेकिन जब कोई खास व्यक्ति यहां की कुव्यवस्था का शिकार हो जाये तो चौंकना लाजिमी है. मामला जब स्वास्थ्य मंत्री के रिश्तेदार से जुड़ा हो तो हैरानी और बढ़ जाती है. जी हैं रिम्स में इलाज कराने आये स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी के एक रिश्तेदार भी यहां की अव्यवस्था का शिकार हुए हैं.
17 दिन से बेड पर पड़ा है मरीज, टाल रहे हैं डॉक्टर्स
गढ़वा जिले के उदय चंद्रवंशी 19 दिसंबर से रिम्स के ऑर्थोपेडिक्स विभाग में डॉ. विनय प्रताप के यूनिट में भर्ती हुए हैं. मरीज पैर टूट गया है जिसके ऑपरेशन के लिए डॉक्टर ने उन्हें गढ़वा से रिम्स रेफर किया, लेकिन 17 दिन बीत जाने के बाद भी उदय के पैर का ऑपरेशन अभी तक नहीं हो पाया है. मरीज के परिजनों ने जब डॉक्टरों से ऑपेरशन न करने का कारण पूछा तब डॉक्टर ने कागजी प्रक्रिया पूरी करने की बात कही. जब मरीज के जांच के सभी कागजात तैयार कर लिए गए तब विभाग के डॉक्टर आजकल में ऑपेरशन करने का हवाला देकर बेड पर ही लेटा कर रखा दिया. अब आप सहज ही अंदाजा लगा का सकते हैं कि जब स्वास्थ्य मंत्री के रिश्तेदार का ये हाल है तो आम इंसान का रिम्स में भगवान ही मालिक है.
डेढ़ महीने से नहीं हुआ पैर का ऑपरेशन
दूसरा मामला भी डॉ विनय कुमार के यूनिट से जुड़ा हुआ है. खूंटी जिला निवासी 22 वर्षीय मरीज सुनील पाहन भी ऑर्थोपेडिक्स विभाग में अपने पैर में हुए जख्म के इलाज के लिए भर्ती हुआ था, लेकिन प्रबंधन जख्म पर मरहम लगाने की जगह घाव को और नासूर बनाने की कोशिश कर रहा है. मरीज सुनील 17 दिसंबर से इस वार्ड में भर्ती है. पहले तो डॉक्टरों ने उसे खून की व्यवस्था करने की बात कही और जब खून का इंतजाम कर लिया गया तब उसे भी आजकल में ही ऑपेरशन हो जाने का हवाला दिया जा रहा है. मरीज की स्थिति ऐसी हो गयी है कि अब पैर का जख्म ठीक होने के बजाए और बढ़ते जा रहा है.
तीन महीने से भर्ती है मरीज, बच्चे भीख मांगने की कगार पर
ऑर्थोपेडिक्स विभाग में इलाजरत हजारीबाग निवासी आदित्य प्रजापति को 08 अक्टूबर को भर्ती किया गया था, लेकिन उनके पैर का ऑपेरशन अभी तक नहीं किया गया है. जब मरीज ने डॉक्टरों से ऑपेरशन न करने का कारण पूछा तब डॉक्टर ने अपने आप हड्डी जुट जाने की बात कह अपना पल्ला झाड़ लिया. उन्होंने कहा कि अब परिस्थिति ऐसी हो गयी है कि घर पर बच्चे भीख मांग कर पेट की आग बुझा रहे हैं. डबडबाई आंखों से कहा कि इससे अच्छा मर ही जाना बेहतर है.
सरकार के दावे फेल
झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास समाज के अंतिम पायदान के अंतिम व्यक्ति तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने की बात करते है. सार्वजनिक अवसरों पर खुद को राज्य की जनता का दास कहते हैं, लेकिन उनके ही सरकार के डॉक्टरों को अपने अस्पताल के मरीजों का दर्द महसूस नहीं होता है.
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