
New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को मंगलवार को आदेश दिया कि वह विशेष सीबीआई न्यायाधीश बी एच लोया की मौत से संबंधित सारे दस्तावेज, उन याचिकाकर्ताओं को मुहैया कराए जो उनकी मौत से जुड़ी परिस्थितियों की स्वतंत्र जांच की मांग कर रहे हैं. महाराष्ट्र सरकार ने लोया की पोस्टमार्टम रिपोर्ट समेत मौत से संबंधित दस्तावेजों को सीलबंद लिफाफे में मंगलवार को ही कोर्ट में पेश किया. इसके बाद न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति एम एम शांतनागौदर की पीठ ने यह आदेश दिया. लोया सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे.
साथ ही पीठ ने लोया की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली दो जनहित याचिकाओं की सुनवाई एक सप्ताह के लिये स्थगित कर दी. महाराष्ट्र सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पीठ से कहा कि इन दस्तावेज में कुछ गोपनीय सामग्री भी है, जिसे जनता के साथ साझा नहीं किया जा सकता है और उन्हें याचिकाकर्ताओं – एक पत्रकार और एक कांग्रेस के नेता के साथ साझा नहीं किया जा सकता है. इस पर पीठ ने कहा कि यह ऐसा मामला है, जिसमें उन्हें (याचिकाकर्ताओं) को सब कुछ पता होना चाहिए. इस पर साल्वे ने कहा कि ये दस्तावेज याचिकाकर्ता के वकील देख सकते हैं परंतु इन्हें सार्वजनिक नहीं किया जा सकता, क्योंकि इन्हें गोपनीय वर्गीकृत चिन्हित किया गया है.
लेकिन पीठ ने निर्देश दिया कि सारे दस्तावेज एक सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ताओं को सौंपे जायें. याचिकाकर्ताओं के वकील ने भी यह भरोसा दिया कि वे किसी भी दस्तावेज को सार्वजनिक नहीं करेंगे. न्यायाधीश लोया की एक दिसंबर, 2014 को हृदय गति रूकने से मृत्यु हो गयी थी. इस हादसे के वक्त वह अपने एक सहयोगी जज की बेटी के विवाह में शामिल होने गये थे.
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