
Anuj Kumar Sinha
इस दृश्य को याद कीजिए और 28 लाख बच्चों की पीड़ा को महसूस कीजिए. परीक्षा देने और कॉपी जमा करने के बाद बुधवार को परीक्षा केंद्र से बच्चे यह सोचकर बाहर निकलते हैं, परीक्षा खत्म, अब मस्ती करेंगे. तनाव का वक्त खत्म.लेकिन इसके पहले वे घर पहुंचे उससे पहले ही अधिकांश को खबर मिल जाती है कि परीक्षा फिर से होगी. गणित (सीबीएसइ 10वीं, परीक्षा) और अर्थशास्त्र (12वीं) की परीक्षा को रद्द कर दिया गया है, क्योंकि पेपर लीक हो गया था. खबर मिलते ही बच्चों के चेहरे से परीक्षा खत्म होने का उत्साह खत्म हो जाता है. चेहरे पर फिर परीक्षा का तनाव. कब होगी फिर से परीक्षा,कैसा आयेगा सवाल. 12वीं के साइंस के छात्रों के मन में चिंता कि 8 अप्रैल को जेईई की परीक्षा है, कैसे दोनों की तैयारी करेंगे (साइंस के कई छात्र 12वीं में अर्थशास्त्र विषय भी रखते हैं). कई बच्चों ने परीक्षा खत्म होने के बाद बाहर जाने और खुशियां मनाने की तैयारी भी कर ली थी.सारा बेकार. इन बच्चों के चेहरे से खुशी गायब. सवाल है इस पूरी घटना में इन बच्चों का क्या दोष ? कुछ भी नहीं. इन्होंने तो कई महीने से रात-दिन एक कर तैयारी की, परीक्षा दी और जब खुशी मनाने या आराम करने का वक्त आया तो पेपर लीक. यह बच्चों के साथ अन्याय है, अपराध है. इन बच्चों की जो मानसिक परेशानी बढ़ी, कौन है इसके लिए जिम्मेवार.
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पेपर लीक से पूरी व्यवस्था चौपट हो गयी




दरअसल पूरी व्यवस्था चौपट हो गयी है. कभी एसएससी का पेपर लीक तो कभी सीबीएसइ का पेपर लीक. सीबीएसी 24 तरह की परीक्षा लेता है. अगर 10वीं-12वीं का पेपर लीक हो सकता है तो बाकी का भी हो सकता है. यानी कमियां हैं. लेकिन सीबीएसई इसे मानने को तैयार नहीं होता. दो दिन पहले जब प्रभात खबर ने रांची में खबर प्रकाशित की (प्रमाण के साथ) कि अर्थशास्त्र का पेपर लीक हुआ है तो सीबीएसइ के अधिकारी इससे मानने को तैयार नहीं हुए. ये सारे सवाल वाह्ट्सएप पर चल रहे थे. आज तकनीक इतनी समृद्ध हो गयी है कि किसी को देश-दुनिया के किसी कोने में किसी परीक्षा का प्रश्नपत्र मिल गया तो चंद मिनट में वह वायरल हो जाता है. इसलिए अब तय तर्क देने का जमाना नहीं है कि दिल्ली में, हरियाणा में लीक हुआ, बिहार-झारखंड में नहीं. बड़ा गिरोह है पेपर लीक करनेवालों का. ये पेपर कड़ी सुरक्षा में रहते हैं,उसके बावजूद ये लीक हो जा रहे हैं. यह काम कोई मामूली आदमी नहीं कर सकता. इसलिए इसकी गंभीरता से जांच हो सोचिये. जब ये परीक्षाएं फिर होंगी और इसी गिरोह ने फिर पेपर लीक करा दिया तो क्या होगा ? क्या बच्चे रोज-रोज परीक्षा देते रहेंगे. दोषी अधिकारियों को खोज निकालना होगा और कड़ी कार्रवाई करनी होगी. टालने से नहीं होगा. इस मामले में खुद प्रधानमंत्री नाराज दिख रहे हैं, इसलिए ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए कि इस बार कुछ ठोस कार्रवाई होगी. याद कीजिए, कुछ साल पहले यूपीएससी का पेपर लीक हो गया था. जो हालात हैं, जैसी व्यवस्था है, उसमें कुछ भी असंभव नहीं. दरअसल पेपर लीक कर हजारों-लाखों रुपये में बेचने का यह धंधा है. प्रतियोगी परीक्षाओं में जो सवाल लीक होते हैं, उनके रेट तो बहुत अधिक होते हैं.
अब समय आ गया है, इसके विकल्प का. संभव है आनेवाले दिनों में ये परीक्षाएं भी ऑनलाइन होने लगे. ये बाद की बात है. अभी बात हो कि क्या ऐसी व्यवस्था हो ताकि बच्चों को अनावश्यक परेशानी न हो. बच्चे परीक्षा और उसके परिणाम से कितने परेशान रहते हैं, उसका उदाहरण है आत्महत्या की घटनाओं में वृद्धि. ऐसी घटनाएं बच्चों के तनाव और परेशानी को और बढ़ाता है. अगर ऐसे ही पेपर लीक होते रहे तो सीबीएसई हो या अन्य संस्थाएं, उन पर विश्वास घटेगा. पेपर लीक बाहर का व्यक्ति नहीं कर सकता, क्योंकि उसकी वहां तक पहुंच नहीं होती. जांच होगी तो पता चलेगा कि असली अपराधी कौन है?
लेखक प्रभात खबर में वरिष्ठ संपादक (झारखंड हैं)
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