New Delhi: संसद के शुक्रवार से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र के हंगामेदार रहने की संभावना है, जहां विपक्ष गुजरात चुनाव के चलते सत्र में विलम्ब के साथ साथ जीएसटी, नोटबंदी, राफेल और किसानों से जुड़े मुद्दों को लेकर विपक्ष सरकार को घेरेगा, वहीं गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के परिणाम की छाया भी देखने को मिल सकती है. हालांकि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने सत्र के दौरान सकारात्मक परिणाम निकलने की उम्मीद जतायी है.
सोमवार को गुजरात एवं हिमाचल प्रदेश के घोषित होंगे चुनाव परिणाम
ऐसी संभावना है कि सत्र के पहले दिन लोकसभा में शुक्रवार को कोई कामकाज नहीं होगा और दिवंगत सदस्य को श्रद्धांजलि देने के बाद सदन दिनभर के लिये स्थगित किया जा सकता है. दोनों सदन में जब सप्ताहांत की छुट्टियों के बाद सोमवार को बैठक होगी, उस दिन गुजरात एवं हिमाचल प्रदेश के चुनाव परिणाम घोषित होंगे. इस सत्र के दौरान 25 विधेयक पेश किये जाने की उम्मीद है जिसमें से 14 नये विधेयक होंगे.
मोदी सरकार गरीब हितैषी सरकार है
संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार और संसदीय कार्य राज्य मंत्रीअर्जुन राम मेघवाल पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि संसद चर्चा का सर्वोच्च स्थान है और सरकार नियमों के तहत किसी भी मुद्दे पर चर्चा करने को तैयार है. मोदी सरकार गरीब हितैषी सरकार है. विपक्ष को अपनी बात रखनी चाहिए और नियमों के तहत चर्चा करनी चाहिए. उन्होंने राजनीतिक दलों से अपील की कि वे महत्वपूर्ण विधेयकों पर उपयोगी और रचनात्मक बहस में सहयोग करें और संसद के दोनो सदनों की कार्यवाही सुचारू रूप से चलना सुनिश्चित करें.
15 दिसंबर से 5 जनवरी तक चलेगा शीतकालीन सत्र
इससे पहले संसद सत्र में विलंब को लेकर सरकार विपक्ष की तीखी आलोचना का सामना कर चुकी है . 15 दिसंबर से शुरू हो रहा शीतकालीन सत्र 5 जनवरी तक चलेगा. सत्र के दौरान अध्यादेश के स्थान पर तीन विधेयक लाये जाने का प्रस्ताव किया गया है जिसमें वस्तु एवं सेवा कर (राज्य़ों को मुआवजा) अध्यादेश, 2017 के स्थान पर विधेयक शामिल है . यह अध्यादेश 2 सितंबर 2017 को जारी किया गया था . इसके अलावा सरकार का ऋण शोधन और दिवाला संहिता (संशोधन) अध्यादेश और भारतीय वन (संशोधन) अध्यादेश, 2017 के स्थान पर भी विधेयक लाने का सरकार का प्रस्ताव है .
विपक्षी दल कई मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेर सकते है
सरकार का तीन तलाक पर लगी अदालती रोक को कानूनी जामा पहनाने के लिए भी विधेयक पेश करने और पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाने वाले संविधान संशोधन विधेयक को पुन: लाने का भी इरादा है. सत्र के दौरान नागरिकता संशोधन विधेयक 2016, मोटरवाहन संशोधन विधेयक 2016 और ट्रांसजेंडर व्यक्ति अधिकार संरक्षण विधेयक को पारित कराने पर भी जोर दिया जा सकता है. सत्र के दौरान कांग्रेस समेत विपक्षी दल कई मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत सरकार को निशाने पर लेने का प्रयास कर सकते हैं. संभावना है कि इस सत्र में जीएसटी तथा नोटबंदी को लेकर कांग्रेस सरकार पर हमलावर होगी. कांग्रेस शुरुआत से ही जीएसटी एवं नोटबंदी को लागू करने के फैसले को जल्दबाजी में लिया गया कदम बताती आई है.
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