कोलंबो : श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए गुरुवार को हुए मतदान में 1.1 करोड़ से अधिक लोगों ने मतदान किया। इस चुनाव में 2005 से सत्ता में रहने वाले महिंदा राजपक्षे को विपक्षी गठबंधन दल के मैत्रिपला सिरिसेना चुनौती दे रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने बताया कि 1.45 करोड़ मतदाताओं में से 80 फीसदी ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
श्रीलंका के दक्षिण में तमिल बहुत इलाके और पूर्व के बहुजातीय इलाकों के साथ-साथ पूरे देश में पुरुष और महिलाएं मतदान स्थल के बाहर मतदान के लिए लंबी कतारों में खड़े दिखे।
एक अधिकारी ने मीडिया को बताया, “यह चुनाव शांतिपूर्वक पूरा हुआ।”
तमिल बहुल उत्तरी शहर प्वाइंट प्रेडो में ग्रेनेड हमले को छोड़कर पूरे श्रीलंका में मतदान शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ। इस हमले में हालांकि कोई हताहत नहीं हुआ है।
राजपक्षे लगातार तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं। उनकी सरकार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सिरिसेना न्यू डेमोक्रेटिक फ्रंट से उम्मीदवार बनाए गए हैं। यह विपक्षी पार्टियों का गठबंधन है।
चुनाव परिणाम की घोषणा शुक्रवार को की जाएगी।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, लाखों लोग नए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए मतदान केंद्र पहुंचे। अधिकारियों ने बताया कि श्रीलंका के अधिकांश हिस्से में तेजी से मतदान हुआ है। मतदान सुबह सात बजे से शुरू हो गया था।
कोलंबो के नजदीकी मतदान केंद्रों में शुरुआती घंटों में 50 फीसदी मतदान दर्ज किया गया।
सेंटर फार मॉनिटरिंग इलेक्शन वायलेंस (सीएमईवी) ने कहा कि सिन्हली बहुल दक्षिण हिस्से में तेज गति से मतदान हुआ। इसी समुदाय से दोनों मुख्य उम्मीदवार ताल्लुक रखते हैं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने बताया, चुनाव निगरानी कर रहे समूह और अधिकारियों ने जाफना प्रांत के प्वाइंट प्रेडो में ग्रेनेड हमले की जानकारी दी है। विस्फोट से लोगों के मन में डर पैदा हो गया, लेकिन इससे कोई हताहत नहीं हुआ है।
चुनाव की निगरानी कर रहे समूह कैंपेन फार फ्री एंड फेयर इलेक्शन (सीएएफएफई) ने कहा कि हमला मतदान केंद्र से 800 मीटर दूर हुआ।
राजपक्षे ने अपना दूसरा कार्यकाल पूरा होने से दो साल पहले ही राष्ट्रपति चुनाव की घोषणा कर दी थी। अधिकांश विश्लेषक उनकी आसान जीत की संभावना व्यक्त कर रहे हैं।
इधर, सिरिसेना ने नवंबर में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और उन्हें विपक्षी दलों ने अपना उम्मीदवार बनाया।
उन्होंने सुशासन और राष्ट्रपति के मौजूदा अधिकारों को कम करने का वादा किया।
राजपक्षे अभी भी कई सिन्हली इलाकों में लोकप्रिय हैं, लेकिन उनकी सरकार भ्रष्टाचार, मानवाधिकारों के हनन और परिवारवाद के मुद्दे से घिरी हुई है।
पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे 2005 में राष्ट्रपति बने थे। एक साल के भीतर ही उन्होंने और उनके भाई और देश के रक्षा सचिव गोटाबया राजपक्षे ने तमिल टाइगर्स के खिलाफ युद्ध के आदेश दे दिए थे।
मई 2009 में लिट्टे को परास्त कर राजपक्षे ने बहुलता वाले सिन्हली समुदाय में खूब वाहवाही लूटी और 2010 में वह दोबारा राष्ट्रपति पद के लिए चुने गए।
सीएमईवी ने कहा कि मतदान पत्र पर कई कलम के इस्तेमाल की छिटपुट घटना सामने आई है।
निर्वाचन आयुक्त महिंदा देशप्रिया ने कहा कि मतदान के निशान के लिए उनके विभाग द्वारा जारी किए गए कलम का ही इस्तेमाल होना चाहिए।
सीएमईवी ने कहा कि कुछ मतदाताओं ने पाया कि कुछ मतदान केंद्रों पर पेन की जगह पेंसिल जारी किए गए थे।
चुनाव में राजपक्षे और सिरिसेना के अलावा कुल 17 छोटी पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों के बीच मुकाबला है। आईएएनएस