लखनऊ, 7 मार्च (| उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की लुटिया डुबोने में सत्ता विरोधी लहर के साथ पार्टी के ‘विभीषणों’ ने भी अहम योगदान दिया। बसपा के निकाले गए मंत्रियों एवं टिकट से वंचित विधायकों ने पार्टी के सामने हर मोड़ पर रोड़े अटकाए जिसका असर नतीजों में देखने को मिला।
अन्ना आंदोलन के भ्रष्टाचार विरोधी लहर को देखते हुए बसपा प्रमुख एवं निवर्तमान मुख्यमंत्री मायावती ने लोकायुक्त की सिफारिश पर अपने मंत्रिमंडल के 16 मंत्रियों को भ्रष्टाचार एवं अन्य आरोपों के चलते बाहर का रास्ता दिखा दिया। कई मंत्रियों के टिकट काट दिए गए। इनमें से कुछ निर्दलीय तो कुछ अन्य दलों के टिकट पर मैदान में उतरे और बसपा की हार में योगदान दिया।
छवि सुधारने के चक्कर में मायावती ने 50 से अधिक विधायकों एवं मंत्रियों का टिकट काट दिया। लेकिन इससे पार्टी को कोई लाभ नहीं मिल पाया।
भ्रष्टाचार के ऐसे ही आरोप में पार्टी से निकाले गए पूर्व वन मंत्री फतेह बहादुर सिंह ने प्रदेश में गुमनाम तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर गोरखपुर के कम्पियरगंज विधानसभा सीट से जीत हासिल की। इस सीट पर तो बसपा तीसरे स्थान पर खिसक गई।

कुछ ऐसा ही हाल इलाहाबाद जिले की हंडिया सीट से प्रगतिशील मानवसमाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री राकेश धर त्रिपाठी का है। भ्रष्टाचार के आरोप में निकाले गए त्रिपाठी 43,175 मत पाकर दूसरे स्थान पर रहे। जबकि बसपा 22,114 मत पाकर यहां तीसरे स्थान पर थी। अगर वह बसपा के टिकट पर यहां से चुनाव लड़ते तो सम्भवत: तस्वीर कुछ अलग होती। यहां से विजयी सपा उम्मीदवार को 88,475 मत मिले।


बसपा के टिकट से वंचित किए जाने पर पूर्व पिछड़ा कल्याण मंत्री अवधेश वर्मा के रोते हुए चेहरे ने मीडिया में काफी सुर्खियां बटोरी थीं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर ददरौला से चुनाव लड़े वर्मा 28,845 मत हासिल कर तीसरे स्थान पर रहे। सपा ने बसपा उम्मीदवार को 4,879 मतों के अंतर से हराकर यह सीट जीत ली। कुर्मी बहुल इस सीट पर वर्मा के निकाले जाने का बसपा की सम्भावनाओं पर असर से इंकार नहीं किया जा सकता।
– हेमंत कुमार पांडेय
पूर्व आयुर्वेदिक मंत्री दद्दन मिश्रा ने बसपा से निकाले जाने पर भाजपा का दामन थाम लिया। वाराणसी की भिनगा सीट पर मिश्रा 45,264 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे। जबकि सपा ने कांग्रेस को 6827 मतों से हराकर इस सीट को जीत लिया। बसपा को 22,114 मत मिले। अगर मिश्रा बसपा के उम्मीदवार होते को निश्चित तौर पर परिणाम कुछ और होते।
इसी तरह जिन विधायकों के टिकट पार्टी ने छवि स्वच्छ करने के चक्कर में काट दिए थे उन्होंने भी अच्छा खासा नुकसान पहुंचाया।
पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह को डिबाई से हराने वाले भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित को इस बार पार्टी ने टिकट नहीं दिया। गुड्डू पंडित इस विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर डिबाई से राजवीर सिह को हराकर विधानसभा में पहुंच गए हैं।