नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनिल आर.दवे ने शनिवार को कहा कि लोक अदालतों के माध्यम से मामलों का निपटारा न सिर्फ सस्ता और तुरंत होता है, बल्कि मुकदमे के दोनों पक्षों के लिए फायदे का सौदा होता है, क्योंकि यहां न कोई जीतता है और न हारता है।
न्यायमूर्ति दवे दूसरी राष्ट्रीय लोक अदालत का उद्घाटन कर रहे थे, जो सर्वोच्च न्यायालय से लेकर 24 उच्च न्यायालयों, जिला न्यायालयों और तालुका स्तर की अदालतों में एक साथ शुरू हुईं।
न्यायमूर्ति दवे ने कहा कि लोक अदालतों की सफलता के लिए मुकदमे के दोनों पक्षों के पास समायोजन के लिए न सिर्फ बड़ा दिल होना चाहिए, बल्कि उन्हें अपना अहं भी त्यागना चाहिए।
न्यायमूर्ति दवे सर्वोच्च न्यायालय की कानूनी सेवा सोसायटी के अध्यक्ष भी हैं।
उन्होंने कहा कि दो पक्षों के बीच आपसी समझौते से विवादों का निपटारा समाज के लिए भी मददगार होता है, क्योंकि समझौते के बाद पक्षों के बीच किसी तरह का बैर भाव नहीं रह जाता।
दवे ने कहा कि न्यायालयों में देखा गया है कि विवाद के दौरान पति-पत्नी भी एक-दूसरे की ओर नहीं देखते। और उनके बीच का मतभेद उनके चेहरों पर स्पष्ट रहता है।
उन्होंने कहा कि लोक अदालतों में बड़ी संख्या में मामलों के निपट जाने से न्यायाधीशों के पास अन्य मामलों को देखने का समय मिल जाता है।
राष्ट्रीय न्यायिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) की सचिव आशा मेनन ने कहा कि इस वर्ष के प्रारंभ में आयोजित पहली राष्ट्रीय लोक अदालत की तुलना में दूसरी लोक अदालत का दायरा बढ़ाया गया है और इसमें राजस्व के मामले भी शामिल किए गए हैं और आशा है कि उनमें से बड़ी संख्या में सूचीबद्ध मामले शनिवार को निपट जाएंगे।
मेनन ने यह भी स्पष्ट किया कि लोक अदालतें नियमित अदालत का विकल्प नहीं हैं, बल्कि ये उन मामलों को सुलझाने का एक मंच हैं, जिन्हें आपसी बातचीत के साथ सुलझाया जा सकता है।
दूसरी राष्ट्रीय लोक अदालत में 50 लाख मामलों का निपटारा होने की संभावना है। आईएएनएस