
Washington : संयुक्त राष्ट्र की एक शीर्ष महिला अधिकारी ने कहा है कि भारत लैंगिक न्याय में बहुत बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है. अधिकारी ने साथ ही कहा कि सरकार ने अपनी नीतियों और कार्यक्रमों में महिलाओं के मुद्दे को प्राथमिकता दी है लेकिन इसे और ज्यादा गति देने की जरूरत है. संयुक्त राष्ट्र की सहायक महासचिव एवं यूएन वूमेन की उप कार्यकारी निदेशक लक्ष्मी पुरी ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन और पुलिस को लैंगिक समानता के प्रति जवाबदेह प्रशिक्षण दिए जाने की जरूरत का आह्वान किया.
इसे भी पढ़ें- “स्कैम झारखंड” से “इस बार बेदाग सरकार” तक का सफर रहा सेवा के तीन सालः रघुवर
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी नीतियों और कार्यक्रमों में महिलाओं के मुद्दे को अहमियत दी है. साथ ही कहा कि मोदी हर कार्यक्रम, हर मिशन में लैंगिक समानता और लैंगिक मुद्दे को प्राथिमकता दी है. उन्होंने लैंगिक समानता को उसके बीच रखा है. जनधन योजना महिलाओं के लिए बड़ी जीत है. स्वच्छ भारत अभियान में वह लैंगिक संबंधी मुद्दों को और रेखांकित कर रहे हैं. इसी तरह स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया है. पुरी ने कहा कि निश्चित तौर पर हम इन कुछ पहलों के संबंध में और गति देखना चाहेंगे. मार्च से अगस्त 2013 तक यूएन वूमेन की कार्यवाहक प्रमुख के तौर पर काम करने वाली पुरी ने उल्लेख किया कि महिला समानता और लैंगिक समानता के क्षेत्र में भारत द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियां बहुत बड़ी हैं.
न्यूज विंग एंड्रॉएड ऐप डाउनलोड करने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पेज लाइक कर फॉलो भी कर सकते हैं.