
NewDelhi : मोदी सरकार धार्मिक स्वतंत्रता के नाम पर अंतरराष़्ट्रीय स़्तर पर घिर रही है. अमेरीका की संस्था यूनाइटेड स्टेट कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजिस फ्रीडम (यूएससीआइआरएफ़) ने 2018 वार्षिक रिपोर्ट में मोदी सरकार की आलोचना की है. रिपोर्ट कहती है कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता खतरे में है. इस रिपोर्ट को अहम माना जा रहा है, क्योंकि यूएससीआइआरएफ़ संवैधानिक संस्था है. 1998 में इसका गठन इंटरनेशनल रिलिजस फ्रीडम एक्ट के तहत हुआ था. इस संस्था का काम अमरीकी सरकार को परामर्श देना है. बता दें कि 2018 की यह रिपोर्ट पांच पन्ने की है. इसमें भारत में धार्मिक स्वतंत्रता के प्रति नरेंद्र मोदी सरकार के रवैये को दर्शाया गया है. रिपोर्ट के अनुसार भारत का बहुधार्मिक, बहुसांस्कृतिक चरित्र ख़तरे में है, क्योंकि एक धर्म के आधार पर आक्रामक तरीक़े से राष्ट्रीय पहचान बनाने की कोशिश हो रही है. जिन राज़्यों में धार्मिक स्वतंत्रता खतरे में बतायी गयी है, उसमें यूपी, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और कर्नाटक शामिल हें. ये 10 राज्य हें. बाकी 19 राज्यों के बारे में रिपोर्ट कहती है कि वहां धार्मिक अल्पसंख्यक स्वतंत्र हैं.
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मोदी हिंसा की निंदा तो करते हैं लेकिन उनकी पार्टी के लोग अतिवादी हिंदू संगठनों से हैं
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी हिंसा की निंदा तो करते हैं लेकिन उनकी ही पार्टी के लोग अतिवादी हिंदू संगठनों से जुड़े हुए हैं और धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए भेदभाव से भरी भाषा बोलते हैं. भारत सरकार के अपने आंकड़े बताते हैं कि सांप्रदायिक हिंसा बढ़ रही है लेकिन मोदी प्रशासन ने इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया है. सांप्रदायिक हिंसा के पीड़ितों को न्याय न मिलने का भी ज़िक्र किया गया है. कहा गया है कि मोदी प्रशासन ने अतीत में बड़े पैमाने पर हुई सांप्रदायिक हिंसा के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए ज्यादा कुछ नहीं किया है. इनमें से कई हिंसक घटनाएं उनकी पार्टी के लोगों को उत्तेजनापूर्ण भाषणों की वजह से हुई. इस रिपोर्ट में गोहत्या से जुड़ी हिंसा, ईसाई धर्म प्रचारकों पर दबाव और उनके ख़िलाफ़ हिंसा, विदेशी फंडिंग से चलने वाले एनजीओ के कामकाज को रोकना, धर्म परिवर्तन विरोधी क़ानून पर भी चिंता प्रकट की गयी है .
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