मुंबई : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के दफ्तर में मुंबई में महिलाओं के लिए शौचालय की मांग के संबंध में 50,000 पोस्टकार्ड आए हैं। इस सभी पोस्टकार्डो को भेजने वाली उनकी ‘बहनें’ हैं। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। मुंबई में काम करने वाली महिलाओं ने ‘अपने बड़े भाई’ मुख्यमंत्री दवेंद्र फडणवीस का ध्यान शौचालयों की समस्या की ओर खींचने के लिए 50,000 पोस्टकार्ड भेजे। इन पोस्टकार्डो को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर पोस्ट किया गया था। इनमें उन्होंने पूरे शहर में स्वच्छ, साफ शौचालय की कमी होने की शिकायत की गई है।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) की उपाध्यक्ष शालिनी ठाकरे ने आईएएनएस से कहा, “मुंबई जैसे महानगर महिलाओं को सुविधाजनक अंतराल पर स्वच्छ और साफ शौचालय प्रदान करने में विफल हैं। राज्य के अन्य जिलों में स्थिति बदतर है। इसीलिए हमने ‘माई राइट टू क्लीन टॉयलेट’ नाम की पहल शुरू की है।”
उन्होंने दावा किया कि महिलाओं के लिए साफ और स्वच्छ शौचालय कोई राजनीतिक मांग नहीं है। शहर में महिलाओं की स्वच्छता की चिंता एक गंभीर मसला है, क्योंकि पर्याप्त शौचालयों की कमी के कारण उन्हें विभिन्न सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों से जद्दोजहद करनी पड़ती है।
कई सारी ‘बहनों’ की इस मांग को गंभीरता से लेते हुए फडणवीस ने इस मामले को प्राथमिकता दी है और वह इसका हल निकालने के लिए अगले हफ्ते शालिनी ठाकरे से मुलाकात करेंगे।
शालिनी ने बताया कि इस माह की शुरुआत में मनसे द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण में सामने आया है कि मुंबई में तकरीबन 4,500 शौचालय हैं, जिनमें से 65 फीसदी केवल पुरुषों के लिए हैं। इनमें से कई शौचालयों में पानी की कोई व्यवस्था नहीं है और ज्यादातर शौचालय गंदे हैं।
उन्होंने कहा, “इससे महिलाओं को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, खास तौर से मुंबई जैसे शहर में, जहां पर उन्हें रोज लंबी यात्राएं करनी पड़ती हैं और तकरीबन 12 घंटे तक घर से बाहर रहना पड़ता है।”
इस अभियान की शुरुआत आठ मार्च को विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर महिलाओं के हस्ताक्षर अभियान शुरू कर की गई थी। इस अभियान में कई हस्तियों ने भी भाग लिया था। इन पोस्टकार्डो को मुख्यमंत्री फडणवीस के दफ्तर भेज दिया गया था।
मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने इस अभियान को जोर देने के लिए उपनगर मलाड के डिंडोशी में 50 पूर्व निर्मित शौचालयों का उद्घाटन किया था।