Koderma: ओडीएफ घोषित कोडरमा जिले के भगवतीडीह गांव में घर में शौचालय नहीं होने के कारण, खेत में शौच करने गयी मधु नाम की बच्ची की, आवारा कुत्तों के हमले से हुई मौत मामले के बाद प्रशासन सकते में आ गया. मुख्यमंत्री ने जहां मधु की मौत के बाद संवेदना व्यक्त की. वहीं डीडीसी आदित्य कुमार ने मुख्यमंत्री के आदेश पर राहत कोष से मधु के परिजनों को एक लाख रूपये देने की घोषणा की. घटना के बाद सीओ हुलास महतो भी मधु के घर पहुंचे और उसकी मां को 50 किलो चावल, दो हजार रूपये और कंबल दिये. साथ ही मुखिया को मनरेगा के तहत मधु के घर में शौचालय निर्माण का निर्देश भी दिया.
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पक्का मकान होने के बावजूद घर में नहीं है शौचालय
घटना के बाद यह बात सामने आयी है कि मधु के परिजनों का पक्का मकान है, बावजूद इसके घर में शौचालय नहीं है. डीडीसी आदित्य कुमार ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत वैसे लोगों के घरों में शौचालय निर्माण के लिए सहायता राशि उपलब्ध करायी जाती है, जो आर्थिक रूप से पिछड़े हैं और खुद शौचालय निर्माण करवा पाने में असमर्थ हैं. उन्होंने कहा इस हिसाब से मधु के परिजन सम्पन्न हैं. उनका अपना पक्का मकान है. मधु के दादा बीएसएल में नौकरी करते थे, जबकि उसके चाचा बोकारो में वकील हैं. मधु के पिता सूरत में इलेक्ट्रिशियन हैं.
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कई बार मुखिया से किया था शौचालय निर्माण का आग्रह
वहीं मधु की मां चमेली देवी के अनुसार उनके पति सूरत में मजदूरी करते हैं. सास और ससुर की मौत हो चुकी है. सभी भाई अलग-अलग रहते हैं. कई वर्ष पहले बने मकान में हिस्से के रूप में उन्हें सिर्फ एक कमरा मिला है, उसी में गुजारा कर रहे हैं. चमेली देवी के अनुसार कई बार मुखिया से योजना के तहत शौचालय निर्माण कराने का आग्रह किया था. लेकिन मुखिया ने भी पक्का मकान और ससुर व देवर की नौकरी का हवाला देकर शौचालय निर्माण के लिए राशि उपलब्ध कराने से मना कर दिया था. इधर मधु की मौत के बाद तुरंत उसके पिता सूरत से पहुंच पाने में असमर्थ थे. इसलिए बच्ची के शव को दफना दिया गया. मधु के बारे में उसकी मां चमेली देवी ने यह भी कहा है कि उसकी दिमागी हालत ठीक नहीं थी.
हकीकत से अंजान बन कागजी रिकार्ड बनाने में जुटा है प्रशासन
घर में शौचालय न होने के कारण खेत में शौच करने गयी मधु की मौत के बाद राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर चाहे जितनी बातें बने, लेकिन सच तो यही है कि कोडरमा जिला ओडीएफ घोषित है और ऐसे में शौचालय न होने की वजह से खेत में शौच के लिए गयी बच्ची की मौत का जिम्मेदार भी कहीं न कहीं वही लोग हैं, जो सिर्फ कागजी स्तर पर अपनी जिम्मेवारी निभाते हैं और हकीकत से अंजान बने रहते हैं. जब सरेआम उनकी पोल खुलती है तो बयानबाजी, लीपापोती और मुआवजे की बात कर मामले को खत्म करने का प्रयास करते हैं.