
Ranchi : देश में स्वास्थ्य और स्वास्थ्य सेवाओं के मुद्दे हमेशा ही चिंता का विषय बने रहते हैं. इन स्वास्थय से जुड़े मुद्दों में महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी बातों को खास महत्व नहीं मिलती है. ऐसा ही एक बड़ा मुद्दा देश में सिजेरियन डिलीवरी या सी-सेक्शन डिलीवरी की बढ़ती दर का है. जिस पर बात होनी चाहिए पर उचित जानकारी और मंच के अभाव में यह मुद्दा और इससे जुड़ी समस्याओं पर कभी बात नहीं हो पाती. और इसका नतीजा महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है.
पोद्दार की चिंता, आखिर क्यों बढ़ रही सिजेरियन डिलीवरी की प्रवृति
इसी विषय को लेकर सांसद महेश पोद्दार ने चिंता जतायी है और सरकार से इसके लिए उठाये गये कदमों का व्यौरा मांगा है. पोद्दार ने मंगलवार को राज्यसभा में अतारांकित प्रश्न के माध्यम से पूछा कि क्या यह सत्य है कि भारत में सिजेरियन डिलीवरी में तेजी से वृद्धि हुई है. सांसद महोदय ने सरकार से इसका व्यौरा भी मांगा और इस दिशा में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी भी मांगी.
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अश्विनी कुमार चौबे ने दिया उत्तर
भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने उत्तर में बताया कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 4 (2015 – 16) के आंकड़ों के मुताबिक 17.2 प्रतिशत प्रसव सिजेरियन प्रणाली से हुए. जबकि NHFS 3 (2005 – 06) में जारी आंकड़ों के अनुसार 8.5 प्रतिशत प्रसव ही सिजेरियन प्रणाली से हुए थे.
सिजेरियन प्रसव का मातृ एवं नवजात मृत्यु दरों से कोई सम्बन्ध नहीं
मंत्री ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अप्रैल 2015 में जारी अपने बयान में कहा है सिजेरियन प्रसव की 10 प्रतिशत से उच्चतर दरों का मातृ एवं नवजात मृत्यु दरों से कोई सम्बन्ध नहीं है. भारत सरकार ने विभागीय पत्र (पत्रांक –M.12015/182/2015 –MCH) के माध्यम से सभी राज्य सरकारों व केंद्र शासित प्रदेशों से विश्व स्वास्थ्य संगठन का उक्त बयान राज्य के सभी स्त्री एवं प्रसूती रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों से साझा करने का आग्रह किया है. साथ ही, सभी राज्यों को नियमित अंतराल पर निजी क्षेत्र के अस्पतालों में “प्रिस्क्रिप्शन ऑडिट” का अभियान चलाने और इस प्रक्रिया को सरकारी अस्पतालों तक विस्तारित करने का सुझाव दिया गया है.
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सीजीएचएस पैनलबद्ध अस्पतालों को सिजेरियन और सामान्य प्रसव की जानकारी देने का निर्देश
स्वास्थ्य राज्यमंत्री ने बताया कि भारत सरकार ने फेडरेशन ऑफ ओब्सटेट्रिकल एंड गायनेकोलोजिस्ट्स इन इंडिया (FOGSI) को भी पत्र लिखकर विश्व स्वास्थ्य संगठन के बयान को अपने संगठन से सम्बद्ध सभी स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों से साझा करने का आग्रह किया है. उन्होंने यह भी बताया कि भारत सरकार ने नैदानिक स्थापना (पंजीकरण एवं विनियम) अधिनियम 2010 बनाया है. जिसका उद्देश्य निजी क्षेत्र के अस्पतालों समेत स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी संस्थाओं का पंजीकरण तथा विनियम करना है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है और इस लिहाज से इस अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन का दायित्व राज्यों का है. फिर भी, केंद्र सरकार उच्च सिजेरियन दरों के विनियम के लिए सतत रूप से दिशा निर्देश और सख्त निगरानी उपलब्ध कराता है. उन्होंने बताया कि सभी सीजीएचएस पैनलबद्ध अस्पतालों को सिजेरियन और सामान्य प्रसव के अनुपात के सम्बन्ध में जानकारी सार्वजनिक तौर पर प्रदर्शित करने के निर्देश जारी किये गए हैं.
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