
Palamu: झारखंड के जिन वीर सूपूतों ने अपने राज्य, भाषा, संस्कृति और सभ्यता को बचाने के लिए अपने प्राणों की आहूति दे दी. उन शहीदों के वंशज आज गुमनामी और बदहाली की जिंदगी जीने को मजबूर हैं. पलामू के वीर सपूत शहीद नीलाम्बर-पीताम्बर के वंशज फटेहाल जीवन जीने को विवश हैं. हाल में ही उनके एक वंशज धनेश्वर सिंह का निधन हो गया. आर्थिक स्थिति कमजोर रहने के कारण मृतक धनेश्वर सिंह के पुत्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ा. उनके अंतिम संस्कार एवं क्रियाकर्म करने के लिए भी उन लोगों को सोचना पड़ा.
डॉ राहुल अग्रवाल ने दिखायी मानवीय संवेदना
शहीद नीलाम्बर-पीताम्बर के वंशजों की इस दशा की जानकारी मिलने पर युवा समाजसेवी डॉ राहुल अग्रवाल ने मानवीय संवेदना दिखायी. डॉ अग्रवाल ने स्वयं झारखंड से बाहर रहते हुए अपने कार्यकर्ताओं को उनके गांव भेजकर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की. इसके अलावा आर्थिक सहयोग भी कराया. डॉ अग्रवाल के सक्रिय कार्यकर्ता विशाल सिंह, एनोस समेत कई लोगों ने उनके पैतृक गांव गढ़वा जिले के बरगढ़ प्रखंड के चपिया मदगड़ी पंचायत के सनेया पहुंचे और उनके परिजनों से मिलकर स्थिति का जायजा लिया तथा आर्थिक सहयोग किया.
विकास से कोसों दूर शहीद का पैतृक गांव
डॉ अग्रवाल के कार्यकर्ताओं ने शहीद नीलाम्बर-पीताम्बर के पैतृक गांव सनेया की बदहाल स्थिति एवं उनके वंशजों की फटेहाली को करीब से देखा. कार्यकर्ताओं ने डॉ अग्रवाल को वहां की सारी स्थिति से अवगत कराया. बताया कि वीर सपूत नीलाम्बर-पीताम्बर दोनों भाई अंग्रेजों के जुल्म एवं शोषण की खिलाफत करते हुए शहीद हो गये. उन दोनों भाइयों ने अपने दिल में जो सपना संजोया था वह पूरी तरह बिखर गया है. आजादी के इतने सालों के बाद भी शहीद नीलाम्बर-पीताम्बर का पैतृक गांव विकास से कोसों दूर है. उनके वंशज आज भी गरीबी, तंगहाली एवं बुनियादी समस्याओं से जूझ रहे हैं.
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बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में सरकार-प्रशासन गंभीर नहीं
शहीद के पैतृक गांव सनेया के अलावा चेमो, तनेया, खपरी, महुआ, कुटकु आदि गांवो में सड़क, पानी, सिंचाई, स्वास्थ्य सेवा का अभाव है. शहीद नीलाम्बर-पीताम्बर के गांव के विकास एवं उनके वंशजों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में सरकार एवं प्रशासन गम्भीर नहीं है. कार्यकर्ताओं ने मृतक के पुत्र हरिहर सिंह, रामकली सिंह, शिवकुमार सिंह, महादेव सिंह, देवनाथ सिंह, अरुण सिंह, तुलसी सिंह, नन्ददेव सिंह, नन्दकिशोर सिंह, उदयनारायण सिंह, कामेश्वर सिंह, राजू मुंडा, रामनाथ मुंडा से मिलकर शोक संवेदना व्यक्त की.
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