
Ranchi : आठ जून 2015 की रात को पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र के बकोरिया में पुलिस ने कथित रुप से फरजी मुठभेड़ में नक्सली अनुराग और 11 निर्दोष लोगों को मार गिराया था. पुलिस पर फरजी मुठभेड़ के आरोप लग रहे हैं. यह आरोप भी लग रहे हैं कि पुलिस ने जेजेएमपी नामक उग्रवादी संगठन से पहले सभी की हत्या करवायी, फिर मुठभेड़ की कहानी बना कर वाहवाही बटोरी. हाई कोर्ट में इसकी सुनवाई चल रही है. मामले की जांच कर रही सीआइडी पर यह आरोप लग रहे हैं कि उसने हाई कोर्ट में जो हलफनामा दाखिल किया है, उसमें कई बातें छिपायी गयी है.
आखिर किसके दबाव में मजिस्ट्रेट व चिकित्सकों ने नाबालिग को बालिग बताया!
Praveen kumar


Ranchi : आठ जून 2015 की रात को पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र के बकोरिया में पुलिस ने कथित रुप से फरजी मुठभेड़ में नक्सली अनुराग और 11 निर्दोष लोगों को मार गिराया था. पुलिस पर फरजी मुठभेड़ के आरोप लग रहे हैं. यह आरोप भी लग रहे हैं कि पुलिस ने जेजेएमपी नामक उग्रवादी संगठन से पहले सभी की हत्या करवायी, फिर मुठभेड़ की कहानी बना कर वाहवाही बटोरी. हाई कोर्ट में इसकी सुनवाई चल रही है. मामले की जांच कर रही सीआइडी पर यह आरोप लग रहे हैं कि उसने हाई कोर्ट में जो हलफनामा दाखिल किया है, उसमें कई बातें छिपायी गयी है.




अब मजिस्ट्रेट व डाक्टर भी संदेह के घेरे में
इस बीच newswing.com की पड़ताल में यह बात सामने आयी है कि उस रात जिन 12 लोगों को कथित फरजी मुठभेड़ में मारा गया था, उनमें से पांच नाबालिग थे. ऐसे में यह सवाल उठने लगा है कि शवों का पंचनामा करने वाले मजिस्ट्रेट धनंजय सिंह और शवों का पोस्टमार्टम करने वाले पलामू सदर अस्पताल के चिकित्सकों ने कैसे सभी को बालिग मान लिया. कैसे घटना के बाद घटनास्थल पर पहुंचे पुलिस के सीनियर व अनुभवी अफसरों को यह नहीं दिखा कि मारे गए लोगों में पांच नाबालिग हैं. क्या दंडाधिकारी और चिकित्सकों ने किसी के दबाव में नाबालिग को बालिग बताया. इस तरह अब मजिस्ट्रेट धनंजय सिंह और पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक भी संदेह के घेरे में आ गए हैं.
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