राँची, दिनांक -10.03.2012- मुख्यमंत्री अर्जुन मुण्डा ने जल-संरक्षण को टिकाऊ विकास का आधार बताते हुए कहा कि इसके लिए वर्षा जल का संरक्षण और उसका उचित प्रबंधन आवश्यक है। इसके लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी जो वर्षा जल संरक्षण, कम लागत की वाटर-हारवेस्टिंग तकनीक के प्रयोग, स्वच्छ पेयजल हेतु सौर ऊर्जा के प्रयोग एवं कम लागत में स्थानीय सिंचाई हेतु तकनीक के प्रयोग के संबंध में सरकार को अपनी संस्तुति देंगी। विकास आयुक्त के संयोजकत्व में गठित होने वाली इस समिति में संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ सदस्य होंगे। मुख्यमंत्री आज अपने आवासीय कार्यालय में कोलंबिया विश्वविद्यालय के हाइड्रोक्लाईमैटोलॉजी के विशेषज्ञ डा॰ उपमनु लाल से वार्ता कर रहे थे।
डा॰ लाल कोलंबिया वाटर सेंटर के निदेशक एवं इंटरनेशनल रिसर्च इंस्टिच्यूट फॉर क्लाईमेट एण्ड सोसायटी के सीनियर रिसर्च साइन्टिस्ट हैं।
डा॰ लाल ने झारखण्ड राज्य की विशिष्ट भौगीलिक स्थिति के परिप्रेक्ष्य में जल प्रबंधन की जरूरतों को रेखांकित किया। उन्होंने स्वच्छ पेयजल हेतु सौर – ऊर्जा के प्रयोग एवं ग्रामीण क्षेत्रों में कम लागत की पेयजल की तकनीक की चर्चा की। उन्होंने कम लागत की वाटर हारवेस्टिंग तकनीक के साथ-साथ परित्क्त खदानों में संग्रहित वर्षा जल के संरक्षण तथा सिंचाई – पेयजल हेतु उसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला। उक्त बैठक में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के प्रधान सचिव सुधीर प्रसाद, जल – संसाधन विभाग के प्रधान सचिव संतोष सत्पथी, एवं कृषि एवं गन्ना विकास विभाग के सचिव अरूण कुमार सिंह उपस्थित थे।