पेशावर : पाकिस्तान के पेशावर शहर में एक सैनिक स्कूल में मंगलवार को आतंकवादियों ने हमला कर दिया, इस हमले में 137 लोगों की मौत हो गई। मृतकों में ज्यादातर बच्चे शामिल हैं। पिछले कुछ वर्षो में हुए आतंकी हमलों में यह घटना सबसे वीभत्स घटना है। पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत की राजधानी पेशावर में आर्मी स्कूल पर हुए इस आतंकी हमले में सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो गई जबकि 245 घायल हो गए। घायलों में कई गंभीर जानलेवा चोटों से जूझ रहे हैं।
पेशावर के संयुक्त सैन्य अस्पताल (सीएमएच) और लेडी रीडिंग हॉस्पिटल (एलआरएच) के प्राधिकारियों के हवाले से अपनी रपट में जियो न्यूज ने बताया कि इस कत्लेआम में 137 लोगों की मौत हो चुकी है।
रपट के मुताबिक 106 लोगों की मौत सीएमएच में हुई जबकि 31 की एलआरएच में।
इससे पहले मृतकों की संख्या की रपटों में विरोधाभास था। सरकारी रेडियो चैनल रेडियो पाकिस्तान ने कहा कि इस आतंकवादी हमले में 126 बच्चों की मौत हो गई। एआरवाई न्यूज ने अपनी रपट में कहा कि 129 लोगों की मौत हुई है, जबकि अन्य मीडिया संस्थाओं के मुताबिक 132 लोगों की मौत हुई है, जिनमें ज्यादातर बच्चे शामिल है।
टेलीविजन फुटेज में स्कूली छात्रों को डरा हुआ और रोता हुआ दिखाया गया है। उनमें से कुछ के चेहरों पर खून थे। जैसे ही सुरक्षा बल आतंकवादियों का सामना करने के लिए स्कूल के अंदर पहुंचे तो आतकवादियों ने मरने वालों की झड़ी लगा दी।
इनमें से कई को उनके माथे और सीने में गोली मारी गई थी, जिससे उनकी मौत हो गई।
आतंकवादी एक कक्षा से दूसरी कक्षा में जा रहे थे जहां पर बच्चे अपनी मेजों और कुर्सियों के नीचे बैठे डर के मारे कांप रहे थे।
एक घायल छात्र ने बताया, “जब आतंकवादी पिछले दरवाजे से अंदर घुसे तो हम सभी सभागार में थे। हम चिल्ला रहे थे और उन्होंने हमारे ऊपर गोली चलाना शुरू कर दिया। मैं मेज क नीचे छिप गया और मेरे पैर में एक गोली लग गई।”
तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। तालिबान ने ही 2012 में मलाला यूसुफजई को गोली मारी थी, जिसे हाल ही में भारत के कैलाश सत्यार्थी के साथ नोबल पुरस्कार दिया गया है। आतंकवादी संगठन ने इस हमले को दक्षिणी वजीरिस्तान में आतंकवादियों के विरुद्ध कार्रवाई का बदला बताया है।
सुरक्षा बलों ने छह आतंकवादियों को मार गिराया, और हमले को निष्प्रभावी कर दिया।
आतंकवादियों की चपेट में आने से बच निकले बच्चों ने घटना की भयावता का जिक्र किया। एक छात्र ने कहा, “चौथी घंटी थी। हम कक्षा में थे। उनके (आतंकवादियों के) हाथ में बंदूक थी। हमारे प्राधानाध्यापक ने हमारे शिक्षक को कहा कि छात्रों को परिसर से हटाना होगा। तभी अचानक हमने सेना के जवानों को आते देखा।”
घायल और खून से लथपथ लोगों को बाहर निकालते हुए देखा गया, जबकि चिंतित अभिभावक भी बाहर इंतजार करते दिखे।
स्कूल की इमारत में 500 से अधिक छात्र और शिक्षक फंसे हुए हैं। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि उन्होंने कुछ लोगों को कॉरीडोर में घायल देखा।
स्कूल के एक शिक्षक ने बताया कि स्कूल में 1,400 से 1,500 छात्र पढ़ते हैं। 500 से अधिक छात्र व शिक्षक अब भी स्कूल परिसर में फंसे हैं।
हमले के कुछ ही देर बाद एक आतंकवादी को खुद को स्कूल ऑडिटोरियम के बाहर उड़ाते हुए देखा गया।
ऑडिटोरिम छात्रों से खचाखच भरा था, जहां छात्र परीक्षा दे रहे थे। छात्रों को शुरू में लगा कि यह एक और सैन्य अभ्यास है। उन्हें आतंक का अंदाजा उस वक्त हुआ, जब कुछ छात्रों को गोली मार दी गई।
स्कूल के शिक्षकों ने बच्चों को सुरक्षित बचाने की कोशिश की। उनमें से कुछ दोपहर में हमले के तुरंत बाद भाग निकलने में कामयाब रहे, जबकि कुछ अन्य को सुरक्षाकर्मियों ने बाहर निकाला।
आतंकवादी हमले की खबर मिलने के बाद स्कूल पहुंचे अभिभावकों में से एक ने इस तरह के स्कूलों में आतंकवादियों के घुसने पर सवाल उठाए।
प्रधानमंत्री नवाज शरीफ व खबर पख्तूनख्वा प्रांत के मुख्यमंत्री पेरेज खट्टाक ने इस हमले की निंदा की और स्कूल में फंसे छात्रों को सुरक्षित बाहर निकालने का आदेश दिया।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस हमले की निंदा करते हुए ट्वीट में लिखा, “पेशावर के स्कूल में कायरतापूर्ण आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा करता हूं।”
ट्वीट में उन्होंने लिखा, “आज जिन लोगों ने अपनों को खोया है मैं उनके साथ हूं। हम उनके दर्द को महसूस करते हैं और उनके प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं।”
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने हमले की निंदा करते हुए एक बयान में कहा, “हमारी संवेदनाएं मृतकों के परिजनों और उनके प्रियजनों के साथ हैं। आईएएनएस