नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने नए साल की शुरुआत योजना आयोग का नाम बदलकर किया है, जिसे अब नीति (राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान) आयोग के नाम से जाना जाएगा, जिसमें प्रधानमंत्री पहले की तरह अध्यक्ष बने रहेंगे। बीते साल स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से दिए गए भाषण में मोदी ने यह वादा किया था।
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, “यह संस्थान सरकार के थिंक टैंक के रूप में सेवाएं प्रदान करेगा। नीति आयोग केंद्र तथा राज्य सरकार को नीति के प्रमुख कारकों के संबंध में प्रासंगिक रणनीतिक व तकनीकी परामर्श देगा।”
नीति आयोग के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होंगे। राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के उप राज्यपाल इसके शासकीय परिषद में होंगे। आयोग के लिए 13 लक्ष्य तय किए गए हैं।
बयान के मुताबिक, “एक से अधिक राज्यों या किसी क्षेत्र के विशिष्ट क्षेत्रीय मुद्दों के लिए निश्चित अवधि वाले क्षेत्रीय पारिषदों का गठन किया जाएगा।”
नया आयोग बनाने की जरूरत के बारे में सरकार ने कहा कि उद्योग और सेवा क्षेत्र का काफी विकास हुआ है और अब वे वैश्विक स्तर पर काम कर रहे हैं।
बयान में कहा गया, “इस स्थिति का लाभ उठाते हुए नए भारत को प्रशासकीय सोच बदलने की जरूरत है, जिसमें सरकार एक मददगार की भूमिका निभाएगी, न कि प्रथम और आखिरी प्रदाता की। औद्योगिक और सेवा क्षेत्र में एक ‘कंपनी’ के रूप में सरकार की भूमिका घटानी होगी।”
गत महीने मुख्यमंत्रियों की एक बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा था कि योजना आयोग की जगह एक ऐसा संस्थान बनाने की जरूरत है, जो रचनात्मक तरीके से सोच सके, जो संघीय ढांचे को मजबूत कर सके और जो राज्य स्तर पर प्रशासन में ऊर्जा भर सके।
सहयोगात्मक संघवाद का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा था कि नए संस्थान में राज्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए।
कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने योजना आयोग की जगह नए आयोग बनाने का विरोध किया था। आईएएनएस