
Ranchi: ‘इंसानियत जिंदा है तो जिंदा हैं हम’ इसी सोच के साथ कुछ दोस्तों ने कदम बढ़ाया तो रास्ता खुद ब खुद बनता गया. फिर ठान लिया कि उन असहाय मरीज और परिवार के लिए अपने जीवन का कुछ पल त्याग देंगे. 5 नवंबर 2017 में ‘जिंदगी मिलेगी दोबारा फाउंडेशन’ नाम की संस्था बनाई और मानव सेवा में लग गए. उन मरीजों तक पहुंच गए, जो पैसों की किल्लत के कारण अस्पताल तक नहीं पहुंच पाते हैं. और छह महीने में 1001 लोगों को निःशुल्क एंबुलेंस सेवा दी. बिहार, बंगाल और झारखंड के विभिन्न जिलों से किसी को अस्पताल से घर, तो किसी को समय पर अस्पताल तक पहुंचाया.
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गरीबों की सेवा की है योजनाः अश्विनी राजगढ़िया
इस मौके पर जिंदगी मिलेगी दोबारा फाउंडेशन के चेयरमैन अश्विनी राजगढ़िया ने कहा कि हमारा मकसद है सिर्फ और सिर्फ समाज के निर्धन और असहाय लोगों की सेवा करना है. संस्था ने झारखंड के विभिन्न जिलों में निःशुल्क एंबुलेंस सेवाएं दी हैं. इसके अलावा पड़ोसी राज्य बिहार और बंगाल तक मरीजों को ले जाना और लाने का काम फ्री में किया है. आगे हमारा लक्ष्य इसे काम को और व्यापक ढंग से करना है. उन्होंने कहा कि फिलहाल रांची में चार एंबुलेंस वैन है. संभावना है कि 2018 के अंत तक इसकी संख्या 20 हो जायेगी.
अपने फाउंडेशन की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इस कार्य के लिए हमलोगों ने आजतक सरकार या किसी अन्य से एक पैसे की मदद नहीं ली है. बस चंद दोस्तों ने मिलकर यहां तक की मंजिल तय की है. समाज और लोगों का प्यार मिलता रहा तो आगे भी ऐसी ही सेवा करते रहेंगे.
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