Ranchi : देश भर में झारखंड विकास दर में गुजरात के बाद दूसरे पायदान पर है. देश का 40 फीसदी मिनरल झारखंड में है. लाखों करोड़ का निवेश झारखंड में होने वाला है. आने वाले सात सालों में झारखंड देश का ही नहीं, बल्कि दुनिया का सबसे उन्नत राज्य बनने जा रहा है. लाखों रोजगार के रास्ते खुलने वाले हैं. इन बातों को सुनकर यह यकीन नहीं होता है कि बात झारखंड की हो रही है, क्योंकि सच है कि वित्तीय वर्ष 2017-18 में झारखंड में केंद्र की तरफ से विकास के लिए दिये गये 4012.23 करोड़ में दिसंबर तक सिर्फ 134.79 करोड़ ही खर्च हो पाये हैं. ऐसे में नाम बड़े और दर्शन छोटे का उदाहरण झारखंड पर खूब बैठता है.
केंद्र की योजना 100 रुपए देने की, झारखंड ने लिया 12.38 रुपए
वित्तीय वर्ष खत्म होने में अब सिर्फ तीन महीने बचे हैं. 26 योजनाओं के लिए केंद्र सरकार को 4012.23 करोड़ का बजट झारखंड को देना था. लेकिन, झारखंड केंद्र से 497.05 करोड़ ही ले सकी है. यानि सिर्फ 12.38 फीसदी. इस राशि को भी सरकार खर्च नहीं कर पायी. सरकार 497.05 करोड़ रुपए में से सिर्फ 134.79 करोड़ ही खर्च पायी है. यानि 27.11 फीसदी. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकार वाकई विकास की पटरी पर सरपट दौड़ना चाह रही है. या सिर्फ दावे ही हो रहे हैं.
किन योजनाओं की सरकार ने की अनदेखी
शिक्षाः केंद्र की तरफ से शिक्षा के क्षेत्र में विकास के लिए केंद्र सरकार की तरफ से 2017-18 में 304.75 करोड़ देने का बजट था, लेकिन राज्य सरकार सिर्फ 144.48 करोड़ रुपए ही केंद्र सरकार से ले सकी. वहीं सुन कर हैरानी होगी कि दिसंबर महीने तक सरकार सिर्फ इस राशि में से 10 करोड़ ही खर्च कर पायी है. बाकी 134.48 करोड़ राशि खर्च तक नहीं हो पाया. वित्तीय वर्ष खत्म होने में अब सिर्फ तीन महीना ही बचा है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन तीन महीनों में सरकार कितना खर्च कर पाएगी.
स्वास्थ्यः-
हाल ही में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में राजधानी रांची में 100 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गयी. जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में भी मौत का सिलसिला जारी रहा, लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए केंद्र की तरफ से मिलने वाली 71 करोड़ के बजट को राज्य सरकार केंद्र से ले भी नहीं पायी. 71 करोड़ में से राज्य सरकार ने 11.73 करोड़ केंद्र से लिया. जिसमें खर्च एक रुपया भी नहीं कर पायी.
कृषिः-
कृषि का हाल झारखंड में कैसा है किसी से छिपा नहीं है, लेकिन सुन कर आश्चर्य होता है कि केंद्र की तरफ से कृषि के लिए मिलने वाली 620.07 करोड़ की राशि में से राज्य सरकार केंद्र से सिर्फ 38.37 करोड़ राशि ही ले पायी, जबकि खर्च सिर्फ 9.17 करोड़ ही हो पाया.
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