
Ranchi : मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद कई जनहित योजनाओं की घोषणा की थी. लेकिन उनका ऐसा हश्र होगा, किसी ने सोचा नहीं था. इन्हीं योजनाओं को अपनी बड़ी उपलब्धि के रूप में सरकार सार्वजनिक मंचों पर गिनाती रही है. लेकिन प्रधानमंत्री जिन योजनाओं को मील का पत्थर घोषित कर महत्वकांक्षी बताते रहे, उन्हीं को सरकार अमली जामा पहनाने में नाकाम रही. यह हम नहीं कह रहे, बल्कि आंकड़े भी इसकी पुष्टि करते हैं.
मोदी सरकार ने अटल पेंशन, जनधन, जीवन ज्योति, आम आदमी बीमा योजना, वरिष्ठ बीमा योजना जैसी कई जनकल्याण की योजनाओं की घोषणा की घोषणा की थी. लेकिन, उनके क्रियान्वयन में गंभीरता नहीं दिखाई गयी. इसका नतीजा हुआ कि ये योजनायें जनता से नहीं जुड़ सकीं. और ना ही लोगों तक इसका कोई अपेक्षित लाभ ही पहुंच सका. जबकि प्रधानमंत्री समेत सरकार के कई मंत्री इन योजनाओं को गिनाकर अपनी वाहवाही लूटने से नहीं चूकते.
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कुछ ऐसी महत्वपूर्ण योजनाओं का हश्र देखें; (वर्ष- 2016-17)
- अटल पेंशन योजना
आवंटन – 200 करोड़
खर्च – 29 करोड़
- पीएम जनधन योजना
आवंटन – 100 करोड़
खर्च – 01 करोड़
- आम आदमी बीमा योजना
आवंटन – 450 करोड़
खर्च – शून्य (दिसम्बर 2016 तक)
- वरिष्ठ बीमा योजना
आवंटन – 109.32 करोड़
खर्च – शून्य (दिसम्बर 2016 तक)
इन योजनाओं में सरकार द्वारा खर्च की गई राशि को देखने से पता चलता है कि इनका लाभ आम जनता को कितना मिला होगा. इन योजनाओं के अलावे भी कई योजनायें जिनमें नाम मात्र की राशि खर्च हुई है. महिलाओं की सुरक्षा को लेकर शुरू निर्भया योजना की एक फीसदी राशि भी खर्च नहीं की जा सकी. इसी तरह नमामि गंगे प्रोजेक्ट में भी बेहद कम राशि खर्च की जा स्कीम जिससे संबंधित रिपोर्ट हम न्यूज़विंग पर छाप चुके हैं.
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